मासूम बच्चियों के दुष्कर्मियों और आतंकियों समेत 155 को रिहा करने की चल रही तैयारी
मीडीया रिपोर्ट में एक बेहद चौंकानें वाली खबर आई है. ये खबर तिहाड़ जेल से 20 दुष्कर्मियों सहित 155 कैदियों को रिहा करने की तैयारी से संबंधित है. हाला की इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि कहीं से नही हो पाई है
खबर है कि तिहाड़ जेल से 20 दुष्कर्मियों सहित 155 कैदियों को रिहा करने की तैयारी चल रही है। जिन 20 रेपिस्ट को छोड़ने की तैयारी है, उसमें से 16 ने साढ़े तीन से लेकर 14 साल के मासूमों के साथ दुष्कर्म किया था। इसमें से नौ लोगों ने बलात्कार के बाद मासूमों को मार डाला था। बलात्कार के मामले में सजा काट रहे दो ऐसे आरोपी हैं, जो राष्ट्रपति का अंगरक्षक रहने के दौरान बुद्धा जयंती पार्क में युवती के साथ रेप किए थे।इसके अलावा चर्चित जेसिका लाल हत्याकांड में सजा काट रहे मनु शर्मा, तंदूर हत्याकांड के सजायाफ्ता सुशील शर्मा और 1993 के दिल्ली बम ब्लास्ट के दोषी आतंकी देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर को भी छोड़ने की तैयारी है।
दैनिक भाष्कर की रिपोर्ट के मुताबिक तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से तैयार सूची में पांच पाकिस्तानी आतंकी भी शामिल हैं।यह सूची सेंटेंस रिव्यू बोर्ड को भेजा जाएगा। जेसिका लाल मर्डर के दोषी मनु शर्मा छह साल से जेल में है। उसकी रिहाई पर दिल्ली पुलिस की ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई है।वहीं पत्नी नैना साहनी को तंदूर में जलाकर मार डालने वाला सुशील शर्मा 22 साल से सजा काट रहा है। दिल्ली ब्लॉस्ट के मामले में 22 साल से सजा काट रहा देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर मानसिक रूप से बीमार बताया जाता है।
जेल प्रशासन के मुतबिक अगर उम्र कैद की सजा के दौरान 14 साल की सजा पूरी हो या फिर जेल में तीन साल के बीच एक बार भी खराब आचरण के लिए कार्रवाई न हुई होा फिर सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम सांस तक जेल में रहने के लिए न हिदायत दी हो, तब जेल प्रशासन की ओर से रिहाई के लिए संबंधित दोषियों के नाम को रिव्यू बोर्ड भेजा जाता है। बता दें कि इस लिस्ट में उन पांच आतंकियों के नाम भी दर्ज हैं, जिन्होंने तीन साथी आतंकियों को रिहा कराने के लिए अमेरिकी नागरिकों को अपहरण कर भारत पर दबाव डाला था।
बता दें कि इस बार गृहमंत्री के उपलब्ध न होने पर सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की बैठक तीन जुलाई को नहीं हो सकी, जिससे इन नामों पर फैसला नहीं हो सका। व्यवस्था के मुताबिक जेल प्रशासन पीड़ित पक्ष से बात कर बोर्ड को रिहाई के लिए नाम भेजता है। बोर्ड 14 साल की सजा के बाद कैदियों की रिहाई के लिए विचार करता है।पूर्व में कई कैदियों के नाम को बोर्ड रिजेक्ट कर चुका है। उनके नामों को एक बार फिर भेजा जा रहा है।