सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण के बाद भी केजरीवाल को नही मिली राहत, ट्रांसफर की भेजी फाइल वापस लौटाई

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों के लेकर हुए विवाद में बीते बुधवार (4 जुलाई, 2018) को सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के फैसले को उपराज्यपाल की सहमति की जरुरत नहीं। मगर कोर्ट के फैसले के बाद भी मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा। दरअसल बुधवार को ही AAP सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों को स्थानांतरित करने और नई पोस्टिंग करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सशक्त बनाने के लिए सचिव (सेवा) को एक फाइल भेजी। मगर कुछ ही घंटों के बाद पांच पेजों का नोट उप मुख्यमंत्री मनीष सोदिया को भेजा गया। जिसमें कहा गया कि वह इस आदेश को मानने में असमर्थ हैं।

सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक नोट में लिखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहीं भी अगस्त 2016 के नोटिफिकेशन को रद्द नहीं किया गया है और दूसरा ये कि इस नोटिफिकेशन में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल या मुख्य सचिव के पास हैं। इससे पहले दिल्ली डिप्टी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर अब उनकी सरकार करेगी।

मामले में जब इंडियन एक्सप्रेस ने मनीष सिसोदिया और मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से संपर्क करने की कोशिश की दोनों अपनी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। बात दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली कैबिनेट ने अधिकारियों के स्थानांतरण और पद के लिए एक नई प्रणाली की शुरुआत की थी। इसमें कहा गया कि मनीष सिसोदिया अधिकारियों के तबादले के पोस्टिंग की जिम्मेदारी संभालेंगे। अब तक, लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास आईएएस और DANICS (दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह सिविल सेवा) के अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के अधिकार थे।

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