जज लोया केस में सुनवाई के लिए वरिष्ठ वकील रोहतागी को फीस के रुप में जारी किये 1.21 करोड़ रुपये
जज लोया केस में सुनवाई के लिए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतागी को 1.21 करोड़ रुपये फीस के रुप में जारी किये गए है। यह पैसा उन्हें सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए दिया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में प्रतिनिधित्व करने को लेकर भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे के साथ रोहतागी को भी विशेष अभियोजक बनाया गया था। यह खुलासा आरटीआइ के तहत हुआ है।
आरटीआइ कार्यकर्ता जतीन देसाई द्वारा मांगी गई सूचना के आलोक में यह जवाब मिला है। सूचना के अनुसार, जस्टिस लोया मामले को लेकर रोहतागी 11 बार कोर्ट में उपस्थित हुए। उनकी प्रत्येक सुनवाई में उपस्थित होने के लिए 11 लाख रुपये फीस तय की गई थी। वहीं, साल्वे को किसी तरह की फीस नहीं दी गई।
जज लोया की मौत के मामले में निष्पक्ष जांच के लिए दायर की गई याचिका को अप्रैल माह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज की दी गई थी। इस याचिका के विरोध के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अपने दो वकील नियुक्त किये थे। सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमे मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश एएम खानविलकर शामिल थे, ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिका में कोई दम नहीं है। कोर्ट ने पीआइएल के दुरूपयोग की आलोचना करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है। न्यायपालिका पर सीधा हमला है। हम उन न्यायिक अधिकारियों के बयान पर संदेह नहीं कर सकते, जो जज लोया के साथ थे। न्यायाधीश लोया की मौत प्राकृतिक तरीके से हुई थी।
महाराष्ट्र सरकार ने याचिका का किया था विरोध: जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच को लेकर दाखिल याचिका पर महाराष्ट्र सरकार मे जांच का पुरजोर विरोध किया था। सरकार का प्रतिनित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को जजों को सरंक्षण देना चाहिए। वहीं, मुकुल रोहतगी ने कहा था कि ये याचिका न्यायपालिका को सकेंडलाइज करने के लिए की गई है।
कौन थे याचिकाकर्ता: जस्टिस लोया की मौत की निष्पक्ष जांच के लिए कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला, महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोने, बांबे लॉयर्स एसोसिएशन सहित अन्य द्वारा याचिका दाखिल की गई थी।
कौन थे जस्टिस लोया: जस्टिस लोया गुजारात के चर्चित शोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में उनकी मौत हो गई थी। उस वक्त वो एक सहयोगी की बेटी की शादी में शामिल होने नागपुर गए थे और चार अन्य जजों के साथ नागपुर के रवि भवन में ठहरे थे। उनके मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था।