बच्चा चोर समझ जान लेने पर उतारू थी भीड़, सेना-पुलिस की मदद से बचे तीन साधु
सरकार की कई कोशिशों के बावजूद बच्चा चोरी के अफवाह में मारपीट की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला असम का है। यहां पर भीड़ तीन साधुओं को बच्चा चोर समझकर जान लेने पर उतारू थी, लेकिन ऐन मौके पर आर्मी और पुलिस की टीम पहुंच गई, जिससे साधुओं की जान बच गई। असम के दिमा हसाओ जिले में माहुर रेलवे स्टेशन पर सेना और पुलिसकर्मियों ने तीन ‘साधुओं’ को बचाया। यहां पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने तीन साधुओं को घेर लिया गया था। जिला अधिकारी ने बताया कि बच्चा चोरी की अफवाह के बाद 5 जुलाई को सैंकड़ों लोग साधुओं पर हमला करने के लिए एकत्र हो गये। इसकी भनक पुलिस को लगी। पुलिस ने मामला कंट्रोल में करने के लिए नजदीकी सैन्य शिविर में तैनात सेना को इसकी सूचना दी।
जानकारी मिलते ही सैन्यकर्मी आ गये। अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने ‘साधुओं’ के सामानों को खुले में फेंक दिया और इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया। इससे अफवाहों को और बल मिला। इस घटना के बाद 5 जुलाई को उपायुक्त अमिताभ राजखोवा और पुलिस अधीक्षक प्रशांत सैकिया की अध्यक्षता में जिला प्रशासन की आपातकालीन बैठक बुलाई गयी। बैठक में विभिन्न समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करें और सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही अफवाहों में ना फंसें। उन्होंने यह भी कहा कि कानून को अपने हाथ में ना लें और किसी व्यक्ति के संदिग्ध गतिविधियों के बारे में अधिकारियों को सूचित करें।
रिपोर्ट के मुताबिक 26 से 31 साल की उम्र के ये साधु उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। गुवाहाटी से 250 किलोमीटर दूर ये लोग माहुर पहुंचे थे। इसी दौरान इनकी कार को टारगेट किया गया। भीड़ ने इनकी कार को लिया, और इन्हें बाहर निकाल लिया, यहां तुरंत ही बहस शुरू हो गई। भीड़ इन साधुओं से इनका अता-पता पूछने लगी। स्थानीय लोग और पुलिस ने हालात बिगड़ता देख आर्मी के स्थानीय यूनिट को इसकी सूचना दी। मिनटों में ही आर्मी की टीम यहां पहुंची और भीड़ से साधुओं को छुड़ा लिया। बाद में आर्मी ने साधुओं से पूछताछ की। इसके बाद साधुओं को पुलिस के हवाले कर दिया गया।