अब सारे स्कूली बच्चों को फिटनेस चैलेंज देने की तैयारी में मोदी सरकार

केन्द्र की मोदी सरकार अब फिटनेस के प्रति जागरुकता लाने के लिए स्कूली बच्चों को फिटनेस चैलेंज देने की तैयारी में है। दरअसल मोदी सरकार स्कूली बच्चों में फिटनेस के आकलन के लिए और भविष्य के खिलाड़ियों की पहचान करने के लिए एक प्रोग्राम की शुरुआत करने जा रही है। इस प्रोग्राम को खेलो इंडिया नेशनल फिटनेस एसेसमेंट प्रोग्राम का नाम दिया गया है। इस प्रोग्राम के तहत यह देखा जाएगा कि कोई 5 साल का बच्चा एक पैर पर 60 सेकेंड तक खड़ा हो सकता है? या फिर उसका बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) कितना है? और 9 साल का बच्चा 50 मीटर रेस कितनी देर में पूरी कर सकता है या फिर कितने पुश अप्स कर सकता है?

खेलो इंडिया नेशनल फिटनेस एसेसमेंट प्रोग्राम के तहत केन्द्र सरकार सभी सरकारी प्राइवेट और सहायता प्राप्त स्कूलों में इस योजना को लागू करने की योजना बना रही है। इकॉनोमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, सरकार एक सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप भी डेवलेप कर रही है, जिसकी मदद से स्कूल, छात्र या उनके माता-पिता भी बच्चे की फिटनेस जांच सकेंगे। फिटनेस टेस्ट का एक सेट स्कूलों में बच्चों से अनिवार्य रुप से परफॉर्म कराया जाएगा, जिसका मकसद बच्चों की फिटनेस में सुधार और भविष्य के खिलाड़ियों की पहचान होगा। केन्द्रीय स्पोर्ट्स सेक्रेटरी राहुल भटनागर ने बताया कि वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सीबीएसई, आईसीएसई, केन्द्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय के साथ मिलकर इस योजना पर काम कर रहे हैं। भटनागर के अनुसार, हम मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संपर्क में हैं, जिससे हम मिड डे मील स्कीम का डाटा लेकर बच्चों की हाइट और वेट को मॉनीटर करेंगे। इसके साथ ही हम वूमेन एंड चाइल्ड वेलफेयर डिपार्टमेंट के साथ मिलकर राष्ट्रीय पोषण मिशन को लागू करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं।

केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत 5-8 साल के बच्चों के लिए 3 टेस्ट होंगे। जिनमें बच्चों का बीएमआई, वेट और हाइट चेक की जाएगी। इसके अलावा फ्लेमिंगो टेस्ट और प्लेट टैप टेस्ट कराए जाएंगे जिनकी मदद से बच्चों में कॉर्डिनेशन का स्तर पता लगाया जाएगा। 9-18 साल के बच्चों के लिए सरकार 6 फिटनेस टेस्ट आयोजित कराएगी। जिसमें बीएमआई, 50 मीटर रेस, 600 मीटर रन वॉक करते हुए, सिट एंड रीच टेस्ट, बच्चों में लचक का पता लगाने के लिए, पुश अप्स, पार्शियल कर्ल्स के टेस्ट होंगे। खास बात ये है कि इन टेस्ट के रिजल्ट को बच्चे सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर सकेंगे। इसके लिए सरकार सोशल मीडिया इंटीग्रेशन पर देने पर भी विचार कर रही है। सरकार फिट बच्चों को, जो स्पोर्ट्स में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं, उन्हें चैनलाइज्ड करके सही दिशा में ट्रेनिंग देगी।

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