बीजेपी पर सुन नहीं रही थी पार्टी, वरिष्ठ नेता ने 42 साल बाद छोड़ दिया सीपीएम का साथ
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद मोइनुल हसन ने शनिवार (सात जुलाई) को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वह 42 सालों से पार्टी में थे और दो बार लोकसभा से सांसद व एक बार राज्यसभा से सांसद रहे। पार्टी नेताओं के साथ कुछ विषयों पर मतभेदों को लेकर उन्होंने माकपा का साथ छोड़ने का फैसला किया है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि वह अब कौन सी पार्टी में शामिल होंगे। लेकिन जानकारों का कहना है कि वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
पत्रकारों से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, “मैंने पार्टी को छोड़ने का फैसला किया है, क्योंकि बाकी नेता मेरी बात समझना नहीं चाह रहे हैं। बीजेपी को लेकर मेरा मत था कि पश्चिम बंगाल में वह अपनी जमीन मजबूत कर रही है। ऐसे में मुझे लगता है कि केंद्र से बीजेपी को बाहर करने के लिए एक बड़ा गठबंधन बनाने की जरूरत है। हमारे बीच इस मसले पर मतभेद नहीं होने चाहिए। लेकिन माकपा नेता मुझसे सहमत नहीं हैं।”
हसन ने आगे बताया, “फासीवादी ताकतें बीजेपी के खिलाफ माकपा की लड़ाई कमजोर कर रही हैं। बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस को समान राजनीतिक शत्रु नहीं माना जा सकता है। माकपा मानती है कि पूरे देश में बीजेपी से खतरा है, तो बंगाल देश से बाहर नहीं है। बीजेपी से बंगाल को भी खतरा है। ऐसे में माकपा को बंगाल में बीजेपी के खिलाफ जमकर लड़ना होगा।” बहरामपुर स्थित आवास पर उन्होंने शनिवार को बताया, “मैं अब सीपीएम के साथ नहीं हूं। मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं। आगे क्या करूंगा, यह अभी तय करना बाकी है।”
आपको बता दें कि माकपा ने हाल ही में हसन को पार्टी की राज्य कमेटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वह उस बात भी खफा चल रहे थे। राजनीतिक जानकारों का इस पर मानना है कि उसी के बाद से पार्टी से उनकी दूरियां बनना शुरू हो गई थीं। शनिवार को इसी क्रम में उन्होंने पार्टी के साथ हर रिश्ता खत्म कर लिया।