रतन टाटा को राहत, साइरस मिस्त्री की याचिका खारिज करके बोला ट्रिब्यूनल- केस में दम नहीं
राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (NCLT) की मुंबई बेंच ने सोमवार (9 जुलाई) को साइरस मिस्त्री की फर्म्स द्वारा दायर की गई याचिका खारिज कर दी। ट्रिब्यूनल ने टाटा संस के बोर्ड निदेशकों द्वारा साइरस मिस्त्री को कंपनी के चेयरमैन पद से हटाने के 24 अक्टूबर 2016 के फैसले को बरकरार रखा है। मुंबई NCLT बेंच के बीएसवी प्रकाश कुमार और वी नल्लासेनापति ने मौखिक आदेश में कहा कि मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से इसलिए हटाया गया था कि क्योंकि वह शेयरहोल्डर्स का भरोसा खो चुके थे।
NCLT ने यह फैसला मिस्त्री की याचिका पर दिया है। मिस्त्री को अक्टूबर, 2016 में टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। इसके बाद मिस्त्री को टाटा समूह की छह कंपनियों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। NCLT ने खचाखच भरे कोर्ट रूम में कहा, ”अल्पसंख्यक शेयरहोल्डर द्वारा द कम्पनीज एक्ट, 2013 की धारा 241 और 242 के तहत दायर की गई याचिका में हमें कोई योग्यता या मुद्दा नहीं मिला।”
साइरस मिस्त्री के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, ”NCLT का फैसला निराशाजनक है मगर हैरान नहीं करता। हम गुड गवर्नेंस सुनिश्चित करने और टाटा संस के सभी अल्पसंख्यक शेयरधारकों और हितधारकों को बहुमत के क्रूर शासन से बचाने के लिए प्रयास करते रहेंगे।”
मिस्त्री कैंप का आरोप था कि पहले चेयरमैन पद से, फिर निदेशक पद से साइरस मिस्त्री को हटाया जाना टाटा संस के दमन का नतीजा था। टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्स की 68 फीसदी हिस्सेदारी है। याचिका के दूसरे हिस्से में टाटा संस बोर्ड और रतन टाटा पर कथित कुप्रबंधन का आरोप लगाया था जिससे समूह को राजस्व का नुकसान हुआ। टाटा संस में मिस्त्री परिवार का 18.4 प्रतिशत हिस्सा है, हालांकि वोटिंग के अधिकार के साथ होल्डिंग 4 प्रतिशत से कम है।
मिस्त्री को नवंबर 2011 में टाटा ग्रुप का प्रमुख घोषित किया गया था और दिसंबर 2012 में रतन टाटा के रिटायर होने के बाद उन्होंने टाटा संस का चेयरमैन पद संभाला।