ब्रिटेन में रिजेक्‍ट हुईं सीरिंज भारतीय अस्पतालों को किया दान!

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस द्वारा असुरक्षित घोषित की गईं सीरिंज का इस्तेमाल भारत के कुछ अस्पतालों में किया जा रहा है। संडे टाइम्स की एक खबर के अनुसार, ब्रिटेन सरकार द्वारा असुरक्षित बतायी गई सीरिंज को भारत, नेपाल और दक्षिणी अफ्रीका के अस्पतालों और मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन को दान कर दिया गया है। इन सीरिंज को ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने साल 2010 में रिजेक्ट कर दिया था। संडे टाइम्स ने पता लगाया है कि बीते साल 2011 में एनएचएस ट्रस्ट ने अपने स्टाफ को एक आदेश जारी किया था। जिसमें ग्रेसबे की एमएस-16 और एमएस-26 सीरिंज को इस्तेमाल करने से मना किया गया था। आदेश में इस बात का भी जिक्र है कि ये सीरिंज ‘तीसरी दुनिया’ के देशों को दान की जाएंगी।

सोमरसेट की एक नर्स ने साल 2014 में अपने ब्लॉग में इस बात का जिक्र किया था कि उसने भारत में एक चैरिटी कार्यक्रम के दौरान उन प्रतिबंधित सीरिंज का इस्तेमाल किया था। इसी तरह एक अन्य डॉक्टर ने भी बताया कि उसने नेपाल में एक मेडिकल चैरिटी कार्यक्रम के दौरान इन सीरिंज का इस्तेमाल किया। दरअसल इस सीरिंज में जिस पंप का इस्तेमाल किया गया है उससे मरीज के खून में तेजी से दवाई का संचार होता है, जो कि मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है।

बीते माह ही ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव जेरेमी हंट ने सख्त निर्देश जारी किए थे कि ब्रिटेन के अस्पतालों में प्रतिबंधित ग्रासबे सीरिंज का इस्तेमाल ना किया जाए। एक रिपोर्ट के अनुसार, यूके रोटेरी क्लब ने साल 2011 में 100 से ज्यादा ग्रासबे सीरिंज ड्राइवर साउथ अफ्रीका भेजे गए थे। रोटरी इंटरनेशनल ऑफ ब्रिटेन और आयरलैंड का कहना है कि सीरिंज डोनेशन अच्छी नीयत से किए गए हैं। जिसका मकसद लोगों की मदद करना है। गौरतलब है कि ब्रिटेन के साथ-साथ न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी इन सीरिंज पर बैन है, हालांकि ब्रिटेन में ये सीरिंज साल 2015 तक इस्तेमाल में रही हैं।

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