धारा 377: भड़के बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, बोले- समलैंगिकता हिंदुत्व के खिलाफ
जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिकता कानून पर सुनवाई चल रही है वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ वकील और बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इसे हिंदुत्व के खिलाफ बताया है। मंगलवार को स्वामी ने कहा कि, ‘समलैंगिकता नॉर्मल नहीं है। ये हिंदुत्व के खिलाफ है।’ स्वामी ने कहा कि देश को इसके इलाज के लिए रिसर्च करना चाहिए और ये तय करना चाहिए कि इसे ठीक किया जा सके। बीजेपी सांसद का कहना है कि, ‘समलैंगिकता कोई सामान्य बात नहीं है। हम इसका जश्न नहीं मना सकते। सरकार को इसकी सुनवाई के लिए कम से कम 7 या 9 जजों की बेंच का गठन करना चाहिए।’
बता दें कि धारा 377 हटाने के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इसमें याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील देते हुए पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये समलैंगिकता का मसला सिर्फ यौन संबंधों के प्रति झुकाव का है। इसका लिंग (जेंडर) से कोई लेना-देना नहीं है। आईपीसी की धारा 377 में दो समलैंगिक वयस्कों के बीच सहमति से शारीरिक संबंधों को अपराध माना गया है और सजा का प्रावधान है। दायर याचिकाओं में इसे चुनौती दी गई है। उधर सुब्रमण्यम स्वामी ने इसे हिंदुत्व के खिलाफ बता दिया है।
It is not a normal thing. We cannot celebrate it. It’s against Hindutva. We should invest in medical research to see if it can be cured. Government should consider having a 7 or 9 judge bench: Subramanian Swamy on SC to begin hearing the pleas seeking scrapping of #Section377 pic.twitter.com/EsvCFzyPNZ
— ANI (@ANI) July 10, 2018
याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट में पेश हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, “लिंग (जेंडर) और यौन संबंधों के प्रति झुकाव दोनों अलग-अलग मामले हैं। दोनों को एक नहीं किया जाना चाहिए। इसमें चुनने का सवाल नहीं उठता। धारा 377 मानवाधिकार का उल्लंघन करती है। समलैंगिकता का मसला सिर्फ यौन संबंधों के प्रति झुकाव का है। जब समाज बदल रहा है तो मूल्य भी बदल रहे हैं। यानी जो 160 साल पहले नैतिकता थी, उसके आज कोई मायने नहीं हैं।” सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “धारा 377 कानून का मसला है और हम इस पर चर्चा कर रहे हैं।