दो दिन बाद शरिया कोर्ट पर कांग्रेस ने तोड़ी चुप्पी, बोली- बीजेपी का है ‘चुनावी हथियार’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा देशभर के सभी जिलों में शरिया कोर्ट की स्थापना के प्रस्ताव पर आज (10 जुलाई) चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए बीजेपी ने इस मसले को उछाला है। सिंघवी ने कहा, “मुझे इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है शरिया अदालतों की स्थापना की छद्म आशंका बीजेपी द्वारा लोकसभा चुनाव 2019 के लिए समाज में मतभेद पैदा करने के लिए उछाला गया है।” सिंघवी ने कहा, “एक स्पष्ट न्यायिक प्रणाली के साथ संवैधानिक लोकतंत्र में इसके लिए कोई जगह नहीं है।” कांग्रेस का अब तक कोई भी बड़ा नेता इस मुद्दे पर बात करने से बचता रहा था। संभवत: इसी मुद्दे पर अपनी बात कहने के लिए कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स बुलाई थी लेकिन बाद में उसे रद्द कर दिया गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, “शरिया अदालतें भारतीय संवैधानिक प्रणाली के तहत एक दुर्लभ दिमागी उपज है, इस पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। है।” बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक पर फजीहत झेलने के बाद छोटे-छोटे विवादों को निपटाने के लिए देशभर के सभी जिलों में शरिया अदालतों के गठन की बात की थी। हालांकि, ऐसी अदालतों के गठन की बात लंबे समय से होती रही हैं। कांग्रेस का मानना है कि आगामी चुनावों के मद्देनजर बीजेपी इसे मुद्दा बना सकती है। बता दें कि साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने शरिया अदालतों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने तब कहा था कि किसी को शरिया कोर्ट का फैसला मानने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही अगर कोई शरिया कोर्ट जाना चाहता है तो उसे रोका भी नहीं जा सकता है।

इधर, बीजेपी ने इस तरह की शरिया अदालतों के गठन का त्वरित विरोध किया जबकि कांग्रेस ने मौन साधे रखा। दरअसल, मुस्लिमों और दलित वोटों पर वर्चस्व रखने वाली कांग्रेस भी अब अपने नजरिए में बदलाव ला रही है। साल 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस खासकर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक जनेऊधारी हिन्दू नेता के रूप में अपनी छवि बनाने की कोशिश की है और इस क्रम में वो गुजरात और कर्नाटक विधाव सभा चुनावों के दौरान कई मंदिरों और मठों में माथा टेका है।

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