कोरियाई प्रायद्वीप में शांति के लिए भारत का योगदान जारी रहेगा : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में शांति प्रक्रिया में भारत एक पक्षकार है और क्षेत्र में शांति के लिए हमारा योगदान जारी रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की पहली यात्रा पर आए दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के साथ शिखर वार्ता में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक संबंधों के विविध आयामों पर व्यापक चर्चा की। बातचीत के बाद दोनों देशों का संयुक्त बयान जारी किया गया। वार्ता में दोनों राष्ट्राध्यक्षों के साथ दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारी व कारोबारी भी शामिल हुए। दोनों देशों के बीच 11 समझौतों पर दस्तखत किए गए, जिनमें द्विपक्षीय कारोबार बढ़ाने और सामरिक गठजोड़ मजबूत करने का रास्ता खोला गया है।

संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में शांति प्रक्रिया शुरू करने और इसे आगे बढ़ाने का पूरा श्रेय राष्ट्रपति मून को जाता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर और दक्षिण एशिया में परमाणु प्रसार भारत के लिए भी चिंता का विषय है। इसलिए इस शांति प्रक्रिया में भारत भी एक पक्षकार है। प्रायद्वीप में तनाव कम करने के लिए जो हो सकेगा, हम वह करेंगे। मोदी ने कहा कि इसलिए परामर्श और संपर्क बढ़ाने का निर्णय किया गया है। इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच वार्ताएं और मंत्री स्तर की मुलाकातें काफी महत्वपूर्ण होंगी।

मुलाकात के बाद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन ने कहा कि हमने द्विपक्षीय सहयोग के नए युग की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा ध्यान अपने विशेष सामरिक गठजोड़ को मजबूत करने पर है। इस संबंध का स्तंभ हमारे आर्थिक और व्यापारिक संबंध हैं। भारत की एक्ट ईस्ट पालिसी और कोरिया गणराज्य की न्यू सदर्न स्ट्रेटजी में स्वाभाविक एकरसता है।

सामरिक समझौते

दक्षिण कोरिया से के-9 वज्र होवित्जर तोपों के भारत में उत्पादन करने के साथ ही भारत और दक्षिण कोरिया ने आपसी रक्षा सहयोग और गहरा करने का संकल्प लिया है। दक्षिण कोरिया की कम्पनी हानह्वा टेकविन ने भारतीय कंपनी लार्सन एंड टूब्रो के साथ होवित्जर तोपों के भारत में उत्पादन का समझौता किया था। इसके तहत रक्षा मंत्रालय ने 155 मिमी. की एक सौ होवित्जर तोपों के उत्पादन का 45 सौ करोड़ रुपए का ठेका दिया था। दोनों देशों ने आपसी रक्षा सहयोग को गहरा करने के लिए समुद्री पोतों और जहाजों के भारत में निर्माण के लिए एक कार्यदल बनाने पर भी सहमति दी।

कारोबारी समझौते

भारत और दक्षिण कोरिया ने व्यापार, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक व तकनीकी सहयोग क्षेत्र समेत 11 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि दोनों पक्षों ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) के अर्ली हार्वेस्ट पैकेज के संयुक्त ब्योरे पर हस्ताक्षर किए हैं। सीईपीए को व्यापार उदारीकरण के लिए मुख्य क्षेत्रों की पहचान कर 2010 में शुरू किया गया था। एक अन्य समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। इसमें बुजुर्गों और विकलांगों के लिए इंटरनेट की चीजें (आईओटी), कृत्रिम बुद्धिमता (एआई), बिग डेटा, स्मार्ट फैक्ट्री, 3 डी प्रिंटिंग, इलेक्ट्रिक वाहन, एडवांस सामग्री और किफायती हेल्थकेयर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। साथ ही, वैज्ञानिक व तकनीकी अनुसंधान, रेलवे अनुसंधान, जैव प्रौद्योगिकी व जैव-अर्थशास्त्र, आईसीटी व दूरसंचार और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों के क्षेत्रों में सहयोग के लिए भी करार किया गया है।

दोनों देशों का साझा दृष्टि-पत्र

दोनों देशों का संयुक्त विजन डॉक्यूमेंट जारी किया गया, जिसमें समुद्री नौवहन की आजादी और बेरोकटोक उड़ान, निर्बाध समुद्री व्यापार सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। किसी खास इलाके या चीन या किसी देश का नाम विजन डॉक्यूमेंट में नहीं लिया गया है। विजन डॉक्यूमेंट में आतंकवाद और उग्रवाद का जिक्र किया गया। दोनों देश मिलकर इसे रोकने का काम करेंगे और अफगानिस्तान में मिलकर कई योजनाओं पर काम करेंगे।

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