राहुल गांधी के राज में रिकॉर्ड समय तक बिना CWC चल रही कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से राहुल गांधी ने अनचाहा रिकॉर्ड बनाया है। कांग्रेस के इतिहास में यह पहली बार है, जब सर्वाधिक समय से पार्टी अपनी सर्वोच्च कार्यकारी कमेटी यानी वर्किंग कमेटी के बगैर संचालित हो रही है।चार महीने पहली ही बतौर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस वर्किंग कमेटी बनाने का अधिकार हासिल हो गया था, मगर अब तक उन्होंने टीम नहीं खड़ी की। पार्टी के पुराने नेताओं का कहना है कि उन्हें याद नहीं कि कोई नया पार्टी अध्यक्ष कभी वर्किंग कमेटी के बिना इतने वक्त तक काम किया हो। कांग्रेस के ज्यादातर पदाधिकारियों को यह पता नहीं है कि आखिर राहुल गांधी वर्किंग कमेटी बनाने में देरी क्यों कर रहे हैं।

मध्य मार्च में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का पूर्ण सत्र हुआ था।पार्टी नेतृत्व ने उस दौरान औपचारिक रूप से सीडब्ल्यूसी को भंग कर दिया था। तब सीडब्ल्यूसी को स्टीयरिंग कमेटी के रूप में तब्दील कर सत्र की निगरानी का जिम्मा दिया गया था।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी गठन में अभूतपूर्व देरी से पता चलता है कि पार्टी कितने लचर ढंग से चल रही है।दिल्ली में पार्टी के पूर्ण सत्र के बाद राहुल गांधी ने कुछ राष्ट्रीय महासचिवों की पद से छुट्टी कर दी। जबकि अशोक गहलौत, ओमान चांडी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित तीन नए महासचिव बनाए थे। बताया जाता है कि अब तक पार्टी की परंपरा के अनुसार अध्यक्ष को पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी गठित करनी होती है, फिर उसमें से चुनकर राष्ट्रीय महासचिव बनाने होते हैं। मगर टीम राहुल के एक सदस्य ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा-राहुल गांधी पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त करने के बाद ही सीडब्ल्यूसी की सूची फाइनल करने चाहते हैं।

मगर राहुल गांधी की इस सोच से पार्टी के तमाम नेता सहमत नहीं हैं। बता दें कि वर्किंग कमेटी ही कांग्रेस में सबसे बड़ी निर्णायक कमेटी होती है।उधर पार्टी के अंदरखाने ही राहुल गांधी की असमंजस और निर्णय क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं।जब वर्किंग कमेटी को लेकर कांग्रेस के एक नेता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, राहुल गांधी को ही इस पर फैसला लेना है। खास बात है कि अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी प्रदेश अध्यक्षों की भी नियुक्ति का काम पूरा नहीं कर सके हैं। यूपी, बिहार, हरियाणा, केरल आदि राज्यों में कार्यवाहक अध्यक्षों से काम चलाना पड़ रहा है।

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