बिहार: नीतीश सरकार ने दिया ऐसा निर्देश कि नाराज हो गए हैं आईएएस, आईपीएस अधिकारी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने अखिल भारतीय सेवाओं के बिहार कैडर के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने निजी मामलों के लिए मुख्यमंत्री के सचिवालय से संपर्क न करें। अधिकारियों को लिखे अपने संक्षिप्त पत्र में सरकार ने कहा है कि ऐसी कार्यवाही को अनुपयुक्त माना जाएगा और अधिकारियों द्वारा इंगित किए गए विषय पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। इस पत्र के कारण आईएएस और आईपीएस अफसरों के भीतर असंतोष की लहर है। अधिकारी हैरान हैं क्योंकि अगर उन्हें कोई आकस्मिक निजी कार्य हो या फिर सेवा संबंधी मामला हो तो वे संपर्क किससे करेंगे।
संपर्क न करें अधिकारी: बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को पत्र भेजा है। पत्र में लिखा गया है,” अखिल भारतीय सेवाओं (आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा) के कुछ अधिकारी अक्सर मुख्यमंत्री के सचिवालय से अपने निजी मामलों के संबंध में जानकारी मांगते रहते हैं। जबकि ये व्यवहार पूरी तरह से अखिल भारतीय सेवा (नियमावली), 1968 के नियम—18 और नियम (3)1 का उल्लंघन है।
क्या कहता है नियम : नियम—18 अपनी बात रखने से संबंधित है। नियम—18 कहता है,”सेवा में कार्यरत कोई भी सदस्य न तो राजनीतिक और न ही किसी अन्य प्रभाव का प्रयोग अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर करेगा और न ही अपने या सरकार के अधीन आने वाले निजी कामों के लिए संपर्क करेगा।” वहीं नियम (3)1 कहता है कि,”सेवा में काम करने वाला हर सदस्य हर वक्त पूरी कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण के साथ काम करेगा। वह कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेगा, जिसे सेवा में कार्यरत सदस्य के द्वारा नहीं किया जाना चाहिए।”
इन मामलों में मांगते हैं जानकारी : इस पत्र को अतिरिक्त सचिव दयानिधान पांडेय ने बिहार कैडर के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को लिखा है। इस पत्र में उन्होंने नियम (3)1 के आलोक में लिखा है कि उनसे ये उम्मीद की जाती है कि वे किसी भी ऐसे कार्य में लिप्त नहीं होंगे, जिसे उचित न माना जाए। पत्र में आगे लिखा गया है कि,”मुख्यमंत्री कार्यालय से निजी फाइलों के संबंध में जानकारी मांगने का प्रयास पूरी तरह से अनैतिक कार्य प्रतीत होता है।” मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्र ने कहा कि निजी कार्यों से संबंधित फाइलों में अक्सर विदेश दौरों, प्रशिक्षण, केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति, अर्जित अवकाश की अर्जियां और कई अन्य प्रकार के सेवा संबंधी मामले शामिल होते हैं।
अधिकारी हुए नाराज : इस पत्र से आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच नाराजगी बढ़ गई है। एक आईएएस अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया,”कल्पना कीजिए, मुझे पारिवारिक समारोह में जाना है और मुझे छुट्टी के लिए आवेदन देना है, मेरी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति को अनुमति मिली है या नहीं और मैं राज्य सरकार के द्वारा सेवा मुक्त होने का इंतजार कर रहा हूं। मैं इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र लिखूंगा, वह इसे सामान्य प्रशासन विभाग को अग्रसारित कर देंगे।, अंतिम रूप से यह मुख्यमंत्री के सचिवालय में जाएगा, जहां से मुख्यमंत्री इस पर अपनी सम्मति देंगे। अगर अनुमति नहीं आ रही है तो मुझे निश्चित रूप से ये जानने का हक है कि मेरे आवेदन का क्या हुआ है? ये मेरा अधिकार है कि मैं मुख्यमंत्री सचिवालय से संपर्क करूं।”