शाह-नीतीश की मीटिंग पर तेजस्वी यादव ने ली चुटकी, बोले- बिहार में कुछ दिन बाद दिखाई देगा साइड इफेक्ट

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गुरुवार (12 जुलाई) को पटना पहुंचेंगे। यहां अमित शाह की मुलाकात राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से होगी। इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारे में खूब चर्चा हो रही है। इधर पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने अमित शाह और नीतीश कुमार की इस होने वाली मुलाकात पर निशाना साधा है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि कुछ दिनों बाद बिहार में इस मुलाकात के साइड इफेक्ट्स दिखेंगे।

तेजस्वी ने इस मुलाकात पर निशाना साधते हुए कहा कि ’18 वर्षों के अज़ीज साथी गिरीराज सिंह और नीतीश कुमार अंदरखाने मिलकर ऊपर से बनावटी विरोध प्रकट करते है। RSS प्रमुख मोहन भागवत के बाद अब दोनों के साथ वर्षों से अर्जित अति विशेष नॉलेज शेयरिंग एवं ट्रेनिंग देने अमित शाह बिहार आ रहे है। कुछ दिनों बाद बिहार में साइड इफ़ेक्ट्स दिखेंगे।’

इस मुलाकात को लेकर पूर्व सासंद शिवानंद तिवारी ने भी निशाना साधा है। शिवानंद तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि ‘अमित साह नीतीश जी से मिलेंगे। अनिश्चितता का माहौल समाप्त हुआ। दोनों के बीच अब एक नहीं बल्कि दो मुलाक़ात होगी। हालाँकि पहली मुलाक़ात समूह में होगी। भाजपा के नेताओं के साथ। असली मुलाक़ात तो रात में होगी, भोजन पर। लेकिन दोनों की बातचीत का असली पेंच तो बड़े भाई का दर्जा का है। बिहार में चेहरा किसका बड़ा होगा! नीतीश कुमार का या नरेंद्र मोदी का!  बड़ा भाई कौन है, या किसका चेहरा बड़ा है, इसकी कसौटी क्या होगी? स्वाभाविक है कि आगामी चुनावों में जो ज़्यादा सीट पर चुनाव लड़ेगा बिहार की जनता उसे ही बड़े भाई का दर्जा देगी। क्या भाजपा के लिए नीतीश कुमार को सीट बँटवारे में एक नंबर का स्थान देना संभव है! सहज बुद्धि तो कहती है कि यह नामुमकिन है। तब नीतीश कुमार क्या रूख अपनायेंगे यह देखना दिलचस्प होगा।
शिवानन्द तिवारी

आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों में बिहार के सियासी गलियारे से जेडीयू और बीजेपी के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आई थीं। जिसके बाद अभी हाल ही में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में हुई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक के बाद हालांकि जेडीयू ने भाजपा के साथ बिहार में किसी मनमुटाव की बात से इनकार किया और कहा कि जेडीयू को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं है। कहा जा रहा है कि अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात में सीट बंटावरे का मुद्दा अहम होगा।

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