मुन्ना बजरंगी की लाश से निकली वो गोली, जिसे मेरठ के SSP राजेश पांडेय ने 20 साल पहले मारी थी

बात 1998 की है। जब यूपी के कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी के दिल्ली में होने की खबर मिली। इस पर यूपी एसटीएफ टीम राजेश पांडेय के नेतृत्व में धरपकड़ के लिए रवाना हो गई। सीमापुरी इलाके में मुठभेड़ हुई। उस वक्त एसटीएफ में सीओ रहे पांडेय आजकल मेरठ के एसएसपी हैं। उस दौरान उन्होंने और उनकी टीम ने मुन्ना बजरंगी को कई गोलियां मारी थी। पुलिस से हुई इस मुठभेड़ में मुन्ना और उसका साथी यतेंद्र गुर्जर बुरी तरह घायल हुआ था। डॉक्टर ने दोनों बदमाशों को मरा घोषित कर मुर्दा घर भेज दिया था। मुर्दाघर पहुंचते ही अचानक मुन्ना की सांसें चलने लगीं तो पुलिस उसे लेकर अस्पताल पहुंची। मोर्चरी से जिंदा होने की यह घटना पुलिस के लिए बेहद चौंकाने वाली थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता था कि मुन्ना के आपराधिक इतिहास में उसकी किस्मत ने भी कितना साथ दिया।
उस वक्त यूपी में एसटीएफ का गठन ही इस मकसद से हुआ था, ताकि श्रीप्रकाश, मुन्ना बजरंगी जैसे दुर्दांन्त अपराधियों का सफाया हो सके। वजह कि एके-47 जैसे असलहों से हत्याएं करने वाले इन कुख्यात अपराधियों के खौफ से आम जन ही नहीं बड़े-बड़े नेता भी कांपते थे। जब एसटीएफ की स्थापना हुई थी, उस वक्त इसके आइजी विक्रम सिंह थे तो अरुण कुमार एसएसपी थे। वहीं तेजतर्रार पुलिस अफसर राजेश पांडेय बतौर सीओ एसटीएफ में भूमिका निभा रहे थे।पूर्वांचल में खौफ का पर्याय बने मुन्ना बजरंगी की यूपी एसटीएफ को वर्ष 1998 में सरगर्मी से तलाश थी। एसटीएफ के सीओ राजेश पांडेय को जब दिल्ली में मुन्ना के होने की सूचना मिली तो वह पुलिस बल के साथ निकल पड़े। दिल्ली के सीमापुरी बॉर्डर पर मुन्ना बजरंगी जाता दिखाई दिया तो पुलिस ने घेर लिया। उस वक्त मुन्ना कार से जा रहा था।दोनों तरफ से कई राउंड गोलीबारी हुई। इस दौरान पुलिस ने सात गोलियां मुन्ना को मारीं थीं।उसका साथी यतेंद्र भी बुरी तरह घायल हुआ था। वहीं दिल्ली पुलिस का एक सिपाही भी मुन्ना बजरंगी की गोली से जख्मी हो गया था। बाद में चिकित्सकों ने मुन्ना और उसके साथी को मरा घोषित कर मोर्चरी भेज दिया। मगर वहां पहुंचते ही मुन्ना की सासें चलने लगीं तो हड़कंप मच गया। फिर पुलिस उसे मोर्चरी से अस्पताल लेकर आई थी।
शरीर से निकली सिर्फ एक गोली, वो भी पुरानी: बागपत जेल में सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी को कुल दस गोलियां मारी थीं। नजदीक से मारने के कारण सारी गोलियां शरीर को पार कर गईं थीं। पोस्टमार्टम के दौरान उसके शरीर से सिर्फ एक गोली निकली। यह वही गोली बताई जाती है, जो एसटीएफ की मुठभेड़ के दौरान पुलिस अफसर राजेश पांडेय ने मारी थी। 20 साल बाद पुरानी गोली माफिया डॉन की लाश से निकलने की काफी चर्चा रही।
बता दें कि एसटीएफ में रहते हुए राजेश पांडेय कुख्यात श्रीप्रकाश शुक्ला समेत कई कुख्यात बदमाशों को ढेर कर चुके हैं। उनकी बहादुरी सिर्फ यूपी की सरहदों में कैद रहने की बजाए दिल्ली से लेकर कोलकाता तक दिखती रही। यूपी से बाहर भी कई अपराधियों का सफलतापूर्वक एनकाउंटर करने के कारण सुर्खियों में रहे हैं। अब तक 80 से अधिक एनकाउंटर कर चुके हैं। बहादुरी के लिए सर्वाधिक चार बार राष्ट्रपति से गैलेंट्री अवार्ड पाने वाले यूपी के दूसरे पुलिस अफसर हैं। लखनऊ, अलीगढ़ जैसे बड़े जिलों के एसएसपी रहने के बाद फिलहाल मेरठ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात हैं।