हाई कोर्ट की टिप्पणी: नकद मुआवजा देकर किसानों की आत्महत्या को बढ़ावा दे रही पंजाब सरकार

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बुधवार को पाया कि आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को आर्थिक मदद देकर पंजाब सरकार असल में आत्महत्या को बढ़ावा दे रही है। मुख्य न्यायाधीश कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की डिविजन बेंच ने ये बात एक एनजीओ की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। ये याचिका राज्य में किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर दायर की गई है।
किसानों की आत्महत्या के मामले पर पंजाब सरकार की कोशिशों को नाकाफी बताते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार मरने वाले किसानों के परिजनों को पैसे देने की बजाय किसानों की समस्याओं का स्थायी हल निकालने की कोशिश करे। बेंच ने कहा,”आप नगद राहत देकर आत्महत्याओं को बढ़ावा दे रहे हैं। कोई भी अत्याधिक जरूरतमंद नगद राहत पाने के लिए आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है। लोग भूखे हैं, वे ऐसा कदम उठाने के बारे में सोच सकते हैं।” कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तिथि निश्चित की है, बेंच ने कहा कि अगर राज्य सरकार संतोषजनक उत्तर नहीं देती है तो अदालत मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले में समन भेजेगी।
कोर्ट की ये टिप्पणी पंजाब सरकार के पीएम मोदी के खिलाफ दिए बयान के बाद आई है। पीएम मोदी ने पंजाब के मलोट में जनसभा को संबोधित किया था। इस रैली को ‘किसान कल्याण रैली’ का नाम दिया गया था। इस रैली में बड़ी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया था। पंजाब सरकार ने कहा कि मोदी ने केंद्र की एनडीए सरकार के द्वारा चलाई गई कई योजनाओं का नाम लिया, जिसमें हाल ही में बढ़ाए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य का भी जिक्र था। लेकिन किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर मोदी मौन क्यों बने रहे? पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा,”यदि मोदी देश में हरित क्रांति लाने के लिए किसानों का वाकई धन्यवाद देना चाहते हैं तो उन्हें किसानों की कर्ज माफी, आत्महत्या और एमएस स्वामीनाथन रिपोर्ट के पूरी तरह से लागू न हो पाने पर किसी ठोस घोषणा के साथ बात करनी चाहिए।”
हाई कोर्ट ने हालांकि सुनवाई के दौरान पाया कि आत्महत्या करने पर मिलने वाला मुआवजा असल में सिर्फ अंतरिम राहत है और ये समस्या का पूर्ण समाधान नहीं है। जजों ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह हलफनामा दायर करके बताए कि किसान और कृषि मजदूरों की मौत क्यों हो रही है? इससे निपटने के लिए क्या उपाय किए गए हैं या किए जा रहे हैं। कोर्ट ने सरकार को ये निर्देश भी दिए हैं कि वह आत्महत्या से मरने वाले किसानों की संख्या का पूरा आंकड़ा और उनके परिवारों को मिले मुआवजे का पूरा ब्यौरा दे। कोर्ट ने यह भी पाया कि पंजाब सरकार को फरवरी 2014 में निर्देश दिया गया था कि वह किसानों की आत्महत्या की समस्या से निपटने के लिए आंध्र प्रदेश राज्य की तर्ज पर काम करे, लेकिन इस बारे में कोई भी कदम नहीं उठाए गए।
बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले साल घोषणा की थी कि कर्ज के कारण किसान की मौत होने पर वह लघु और सीमांत किसान के परिवार को 2 लाख रुपये का मुआवजा देंगे। जबकि दो लाख रुपये का मुआवजा सभी किसानों के परिवारों को मिलना था। ये राशि कर्ज लेकर चुकाई न गई रकम के अतिरिक्त थी। विधानसभा में इसी घोषणा करते हुए कैप्टन ने कहा था कि इससे राज्य के 10.25 लाख किसानों को राहत मिलेगी।