शादियों में होने वाला खर्च बताना हो अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से विचार करने को कहा

देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि शादियों में होने वाले खर्च का ब्योरा देना अनिवार्य किया जाए। जाहिर है अगर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानती है तो आपको अब अपने घरों में होने वाले शादी-विवाह के खर्चे का पूरा विवरण केंद्र सरकार को देना पड़ सकता है। केंद्र सरकार को सलाह देते हुए ‘सुप्रीम’ अदालत ने कहा है कि सरकार को मौजूदा नियम-कानूनों में जरूरी बदलाव पर विचार ताकि वर-वधू दोनों पक्ष के लोग शादी में होने वाले खर्च का हिसाब-किताब संबंधित अधिकारियों को अनिवार्य रूप से दें। कोर्ट के मुताबिक, वर और वधू दोनों पक्षों को शादी से जुड़े खर्चों को संबंधित मैरिज ऑफिसर को लिखित रूप से बताना अनिवार्य कर देना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अगर ऐसा कानून अमल में लाया जाता है तो इससे एक तरफ जहां दहेज जैसी कुप्रथा पर लगाम लग सकेगा तो वहीं दूसरी तरफ दहेज उत्पीड़न का झूठा मुकदमा दर्ज करने वालों पर भी नकेल कसी जा सकेगी। कोर्ट ने कहा कि शादी में आने वाले खर्च का एक हिस्सा वधू के बैंक अकाउंट में डाला जा सकता है। यह भविष्य में जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को एक नोटिस भेजा। कोर्ट ने कहा है कि सरकार अपने लॉ ऑफिसर के जरिए इस मुद्दे पर अपने विचारों से अदालत को अवगत कराए। अदालत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिंहा से निवेदन किया है कि वो कोर्ट को असिस्ट करें।

दरअसल अदालत पारिवारिक झगड़े से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा था। एक महिला ने अपने पति और अपने ससुराल वालों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। जबकि पति और उसके परिवार वालों ने महिला के सभी आरोपों को नकार दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि इस तरह के मामलों में दहेज मांगे जाने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते हैं। अदालत ने कहा कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इन मामलों में सच्चाई का पता लगाया जा सके।

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