अब स्कूली बच्चों को चाय पीने की आदत डालने की तैयारी में कंपनियां

कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के बाद अब चाय उद्योग की नगर स्कूली बच्चों पर है। इसकी प्रमुख वजह है चाय के घरेलू खपत को बढ़ाना। वर्तमान में देश में पेय पदार्थों की प्रति व्यक्ति खपत प्रति वर्ष केवल 786 ग्राम है। ऐसे में खपत बढ़ाने के उद्देशय से देश के कुछ शहरों में स्कूली बच्चों के बीच चाय पीने की आदत को बढ़ावा देने का लक्ष्य रख रहा है। लक्ष्य को पूरा करने और खपत बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चों के बीच चाय पीने का प्रचार किया जाएगा। इसके लिए इंडियन टी एसोसिएशन (आईटीए) व देश के चाय बागानों के शीर्ष निकायों ने विभिन्न स्कूलों में चाय के प्रति अभियान चलाने के लिए दो विज्ञापन एजेंसियों से करार किया है।

मीडिया रिपार्ट्स के अनुसार, आईटीए के चेयरमैनन आजम मोनेम का कहना है कि अभी भी भारत की करीब 35 करोड़ आबादी चाय नहीं पीती है। इनमें मुख्य रूप से बच्चे शामिल हैं। अब हम स्कूली बच्चों के बीच चाय पीने को लेकर अभियान की शुरूआत करेंगे। इससे पहले हने युवाओं को लेकर कॉलेज व विश्वविद्यालय में अभियान चलाया था। आईटीए सर्वे रिपोर्ट और दो विज्ञापन एजेंसियों की प्रस्तुती के आधार पर एक योजना पर काम कर रही है। इसके प्रमोशन के लिए आईटीए पैसा भी उपलब्ध करवाएगी। अभियान स्कूली कैलेंडर के अनुसार शुरू होगा। अभी कुछ ही क्षेत्रों में इस अभियान को चलाया जाएगा।

वहीं, दूसरी ओर निर्यात में वृद्धि के लिए आईटीए अब इराक के बाजार का रूख कर रहा है। अभी तक ईराक तक भारत से चाय आयात नहीं कर रहा था। इस बाबत इस महीने के अंत में आईटीए का एक प्रतिनिधिमंडल भी ईराक की बाजर में पहुंच बनाने के लिए वहां जाएगा।  फिलहाल श्रीलंका और वियतनाम ईराकी बाजार में चाय की खपत को पूरा करते हैं। बता दें कि भारत चाय के उत्पादन का एक बड़ा देश है।असम राज्य विश्व का सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र है, ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है। असम की उष्णकटिबंधीय जलवायु वाली चाय को दुनिया में सबसे अच्छी चाय के रूप मे जाना जाता है। वहीं, दार्जिलिंग चाय को काला चाय के रूप में भी जाना जाता है जो अपने स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है।

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