केंद्रीय मंत्री बोले- कश्मीर की मस्जिदों में कुछ बाहरी मौलवी, भड़का रहे हिंसा
जम्मू कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद के बीच, भारतीय सेना और राजनैतिक नेतृत्व की चिंता इस बात ने बढ़ा दी है कि घाटी में इस्लाम की चरमपंथी वहाबी विचारधारा का प्रभाव बढ़ रहा है। घाटी की मस्जिदें और मदरसे इन वहाबी विचारधारा के लोगों द्वारा ही संचालित किए जा रहे हैं। इस मुद्दे पर बात करते हुए केन्द्रीय मंत्री आरके सिंह का कहना है कि “इन चरमपंथी मौलवियों को हुर्रियत का समर्थन प्राप्त है। आरके सिंह के अनुसार, ये मौलवी बाहर से आए हैं और कश्मीर की विभिन्न मस्जिदों में जुम्मे की नमाज के बाद कश्मीरी युवाओं को पत्थरबाजी के लिए भड़काते हैं।”
केन्द्रीय मंत्री ने जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर भी हमला बोला और उनके सलाहुद्दीन और यासीन मलिक जैसे आतंकियों के पैदा होने वाले बयान पर उनकी तीखी आलोचना की। आरके सिंह ने इस मुद्दे पर कहा कि “इस तरह की धमकियां हमें प्रभावित नहीं कर सकती और इन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आतंकी और हुर्रियत को उनके हिसाब से ही डील किया जाएगा।” बता दें कि महबूबा मुफ्ती ने केन्द्र सरकार पर पीडीपी तोड़ने की कोशिशों का आरोप लगाया है और कहा है कि यदि जम्मू कश्मीर में 1987 की परिस्थितियां बनीं तो कई सैयद सलाहुद्दीन और यासीन मलिक जैसे आतंकी पैदा होंगे। उल्लेखनीय है कि 1987 में घाटी में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान धांधली की खबरें आयी थीं, जिसके बाद ही कश्मीर में उग्रवाद की शुरुआत हुई और लाखों पंडितों को घाटी से विस्थापन झेलना पड़ा था।
टाइम्स नाउ की एक खबर के अनुसार, कश्मीर घाटी में कई मस्जिदें वहाबी विचारधारा को सपोर्ट कर रही हैं। वहाबी विचारधारा इस्लाम की कट्टरपंथी विचारधारा है, जिसे सऊदी अरब से फंडिंग मिलने की बात कही जाती है। बीते कई सालों में कश्मीर घाटी में कई मस्जिदें और मदरसे वहाबी मौलवियों द्वारा कंट्रोल किए जा रहे हैं। जो कि कश्मीर में उग्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। स्थानीय युवाओं को कथित ‘आजादी’ के नाम पर उग्र बनाने में इन चरमपंथी मौलवियों का बड़ा हाथ बताया जा रहा है। खबर है कि ऐसी मस्जिदों को खाड़ी देशों से मदद मिल रही है और घाटी में ऐसी मस्जिदें काफी तेजी से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही हैं।