सीबीआई के शीर्ष दो अधिकारियों की अनबन खुलकर सामने आई, सीवीसी को भेजी गई चिट्ठी
देश की शीर्ष जांच एजंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में सबकुछ ठीक नहीं है। एजंसी ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को लिखा है कि उसके दूसरे वरिष्ठतम अधिकारी, विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के पास अपने प्रमुख, निदेशक आलोक वर्मा का प्रतिनिधित्व करने का शासनादेश नहीं है। सीबीआई ने सीवीसी से यह भी कहा कि कई अधिकारियों जिन्हें संस्था में शामिल किए जाने पर विचार किया जा रहा है, ‘वह स्वयं आपराधिक मामलों में संदिग्ध/आरोपी हैं और सीबीआई उनकी जांच कर रहा है।’
पत्र में यह बताते हुए कि अस्थाना कई मामलों में खुद ‘जांच से गुजर’ रहे हैं, एजंसी ने कहा है कि ”संस्थागत निष्ठा बरकरार” रखने के लिए निदेशक की अनुपस्थिति में उनसे ”सीबीआई में अधिकारियों को शामिल करने के लिए सलाह नहीं ली जा सकती।” एजंसी ने प्रस्तावित अधिकारियों की ”उचित जांच” करने के लिए ”पर्याप्त अग्रिम समय” मांगा है।
सीबीआई के प्रवक्ता ने द इंडियन एक्सप्रेस के कॉल्स और मेसेजेस का जवाब नहीं दिया। सीवीसी, सीबीआई निदेशक और सीबीआई विशेष निदेशक ने द इंडियन एक्सप्रेस के टेक्स्ट मेसेज का जवाब नहीं दिया। सीबीआई द्वारा उठाए गए मुद्दों की टाइमिंग इसलिए अहम है क्योंकि वह अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले कई राजनेताओं की जांच कर रही है।
सीबीआई ने अपनी चिंता अपने नीति डिविजन द्वारा दो पत्रों में सीवीसी को भिजवाईं हैं। यह पत्र 10 जुलाई को सीवीसी की टेलिफोन कॉल के जवाब में भेजे गए, जिसमें 12 जुलाई को सीबीआई चयन समिति की बैठक की जानकारी दी गई थी। ”सीबीआई निदेशक की अनुमति” के बाद डिविजन द्वारा भेजे गए पत्र में सीवीसी को बताया गया है कि बैठक को लेकर उसे कोई औपचारिक एजेंडा नहीं मिला है।
सीबीआई ने 12 जुलाई की बैठक को 19 जुलाई के बाद किसी भी तारीख में कराने को कहा है। इसके लिए उसने दिल्ली स्पेशनल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 की धारा 4सी (सीवीसी एक्ट, 2003 द्वारा संशोधित) का हवाला दिया है जो स्पष्ट कहता है, ”केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपने से पहले कमेटी निदेशक से राय-मशवरा करेगी।” सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा 12 जुलाई को उरुग्वे में इंटरपोल की एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा ले रहे थे।
जब सीवीसी ने फोन पर सीबीआई निदेशक का कार्यभार देख रहे – वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर आने वाले विशेष निदेशक अस्थाना – से बैठक में हिस्सा लेने को कहा, तब सीबीआई ने दूसरा पत्र लिखा जिसमें कहा गया है कि ‘सीबीआई निदेशक का कार्यभार/शक्तियां अस्थाना को नहीं दी गई हैं।”
सीवीसी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की भूमिका उस समय चर्चा में चर्चा में आई जब पिछले साल अस्थाना सीबीआई के विशेष निदेशक बने। कमेटी ने उस समय अस्थाना पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और उनके नाम पर आपत्ति जताने वाले सीबीआई निदेशक वर्मा के नोट को दरकिनार कर दिया था।
इसी महीने एक अलग मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह को जांच से मिली छूट को हटा दिया था। सिंह विवादित एयरसेल-मैक्सिस केस की जांच कर रहे हैं।