जानिए कौन हैं आलोक अग्रवाल, अरविंद केजरीवाल ने घोषित किया मध्यप्रदेश में सीएम उम्मीदवार
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जोर आजमाइश कर रही है। पार्टी पूरी तैयारी से इस चुनाव को लड़ रही है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मध्य प्रदेश चुनावों के लिए सीएम उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है। आप ने आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग स्नातक आलोक अग्रवाल को सीएम कैंडिडेट बनाया है। रविवार (15 जुलाई) को केजरीवाल ने मध्य प्रदेश के इंदौर में रैली की और पार्टी का घोषणापत्र जारी किया। इस मौके पर सीएम कैंडिडेट आलोक अग्रवाल ने बकायदा स्टांप पेपर पर लिख कर अपनी पार्टी के चुनावी वादे किये हैं। राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर उन्होंने किसानों का सारा कर्जा माफ करने की घोषणा की है। साथ ही जिन किसानों के परिवारवालों ने सुसाइड किया है उन्हें 10 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की गई है।
कौन हैं आलोक अग्रवाल: नर्मदा बचाओ आंदोलन के जाने-माने चेहरे में शुमार आलोक अग्रवाल का आदिवासी, किसान, मजदूरों के आंदोलन में सक्रिय रहे हैं। आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग करने के दौरान ही वे कैंपस के पास रहने वाले दलित बच्चों को पढ़ाया करते थे। उन्होंने अपने जीवन का लंबा वक्त नर्मदा के विस्थापितों को उनका हक दिलाने में गुजारा। इंजीनियर से समाजसेवी बने आलोक अग्रवाल अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, देवास, हरदा जिले में सक्रिय रहे। आलोक अग्रवाल आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को जोरदार टक्कर देने का दावा करते हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी के 35 हज़ार से ज्यादा पूर्णकालिक कार्यकर्ता 230 विधानसभाओं में काम कर रहे हैं। सीएम केजरीवाल ने आलोक की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए कहा कि वे IIT से पढ़े हैं। चाहते तो अमेरिका जा सकते थे, लेकिन IIT से पढ़ने के बाद नर्मदा के लोगों की सेवा करनी शुरु कर दी।
इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एमपी के सीएम को चुनौती दी और कहा, “मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के सामने खुला प्रस्ताव रखता हूं कि हम उन्हें सिखा सकते हैं कि सरकारी स्कूलों की हालत कैसे सुधारी जाती है। इस काम के लिये मैं दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को कुछ समय के लिये मध्यप्रदेश भेजने को भी तैयार हूं।” उन्होंने चौहान को चुनौती भी दी कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पेयजल जैसे विषयों पर मध्यप्रदेश की 15 साल पुरानी भाजपा सरकार और दिल्ली की तीन साल पुरानी ‘आप’ सरकार की योजनाओं पर उनसे सार्वजनिक मंच पर बहस करें।