पुलिस चौकी में आत्महत्या के मामले पर बोली ‘आप’, फिर बेनकाब हुआ दिल्ली पुलिस का नाकारापन

तिलक नगर की एक पुलिस चौकी में एक नाबालिग लड़की की कथित आत्महत्या के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि दिल्ली पुलिस का नाकारापन एक बार फिर बेनकाब हो गया है। पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार और उनकी दिल्ली पुलिस जनता को सुरक्षा देने में फिर विफल साबित हुई है। ‘आप’ ने केंद्रीय गृह मंत्री, उपराज्यपाल और दिल्ली के पुलिस आयुक्त से पूछा है कि रात के वक्त एक नाबालिग लड़की को पुलिस चौकी में क्यों रखा गया? सोमवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए ‘आप’ प्रवक्ता आतिशी मारलीना ने कहा कि 14 जुलाई को तिलक नगर की एक पुलिस चौकी में 17 साल की एक किशोरी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली, जो सीधे तौर पर दिल्ली पुलिस की नाकामी साबित करती है।
मारलीना के मुताबिक, 14 जुलाई की रात एक छोटा सा झगड़ा लेकर किशोरी और उसके परिवारवाले पुलिस चौकी पहुंचे थे। वहां दूसरे पक्ष के लोग पुलिस के सामने ही किशोरी और उसके भाइयों को धमका रहे थे, जब किशोरी ने उनको रोकने की कोशिश की तो पुलिस ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया और उसके भाइयों को दूसरे कमरे में बंद कर दिया। आप प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने लड़की और उसके परिवार को इस कदर प्रताड़ित किया कि परेशान होकर किशोरी ने पुलिस चौकी में ही फांसी लगा ली। आप की ओर से केंद्र सरकार, उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस से सवाल किया गया है कि एक नाबालिग लड़की को रात 1.30 बजे पुलिस चौकी में क्यों रखा गया जबकि कानून के मुताबिक रात आठ बजे के बाद किसी भी महिला को थाने में नहीं रखा जा सकता? किशोरी को परिवार से अलग एक कमरे में क्यों बंद किया गया? जब किशोरी ने आत्महत्या की तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी भाग क्यों गए, उन्होंने उसकी मदद क्यों नहीं की और अभी तक पुलिस चौकी के प्रभारी को निलंबित क्यों नहीं किया गया?
तिलक नगर के विधायक जरनैल सिंह ने कहा कि अगर पुलिस चौकी के अंदर ही सुरक्षा के ये हालात हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर में सुरक्षा के क्या इंतजाम होंगे। विधायक ने कहा कि बड़ी बात यह है कि घटना के समय पुलिस चौकी में मौजूद किसी भी पुलिसवाले ने किशोरी को बचाने की कोशिश नहीं की, बल्कि सभी पुलिसकर्मी चौकी छोड़कर यहां-वहां भाग गए। बकौल जरनैल सिंह, अगर पुलिस ने थोड़ी सी मुस्तैदी दिखाई होती तो शायद किशोरी को बचाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि कोई भी अधिकारी इस घटना की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। पुलिस प्रशासन ने दो कांस्टेबलों को निलंबित करके घटना से पल्ला झाड़ लिया है जबकि इसमें चौकी इंचार्ज और वरिष्ठ अधिकारियों की भी जवाबदेही बनती है।
पार्टी प्रवक्ता ऋचा पांडेय मिश्रा ने कहा कि यह पहली घटना नहीं है जिसमें पुलिस हिरासत में किसी की मौत हुई हो। पिछले 10 महीने का रिकॉर्ड देखा जाए तो दिल्ली सहित देशभर में लगभग 1680 ऐसे मामले हैं जिनमें पुलिस हिरासत में लोगों की मौत हुई। जनता की रक्षक मानी जाने वाली पुलिस आज भक्षक बन गई है और लोग आज पुलिस स्टेशन जाते हुए डरते हैं। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग दोहराते हुए ‘आप’ ने कहा कि दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार के अधीन किया जाए ताकि बाकी सरकारी विभागों की तरह ही दिल्ली सरकार पुलिस महकमे में भी उचित सुधार कर सके।