अस्पताल से नहीं मिली एंबुलेंस, बाइक पर भतीजी का शव ले गया युवक, महिलाओं ने अर्थी को पहुंचाया श्मशान

बिहार में अस्पतालों की स्थिति किस कदर बदहाल है, इसकी बानगी सोमवार को देखने को मिली। सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच से लेकर जिला अस्पताल हर जगह एक ही स्थिति है। संसाधनों की कमी का हाल ये है कि लोग कंधे पर शव लेकर जा रहे हैं। सोमवार को राजधानी पटना स्थित पीएमसीएच और छपरा सदर अस्पताल से दो ऐसी ही शर्मसार करने वाली खबरें आयी है। पीएमसीएच में जहां एंबुलेंस न मिलने की वजह से महिलाएं खुद अर्थी को कंधा देकर श्मशान ले गईं, वहीं छपरा सदर अस्पताल में मौत के बाद युवक अपने दोस्त से बाइक मांगकर भतीजी के शव को ले गया। ये दोनों घटनाएं बताने को काफी है कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था का क्या हाल है।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में सोमवार को एक वृद्ध महिला की मौत हो गई। मौत के बाद जब परिजनों ने शव ले जाने के लिए वाहन की मांग की तो वहां के कर्मचारियों द्वारा किसी तरह की मदद नहीं की गई। निजी एंबुलेंस चालकों ने चार हजार रूपये मांगे। अंत में थक हार कर परिजनों ने अर्थी खरीदी। दो महिला व अन्य पुरूष सदस्यों ने अर्थी को कंधे पर उठाया और अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले गए। वहीं, इस पूरे मामले पर पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद ने अनभिज्ञता जताई है।
दूसरी घटना बिहार के ही छपरा जिले की है। सोमवार को शौचालय की टंकी में एक बच्ची डूब गई थी। आनन-फानन में परिजन उसे लेकर छपरा सदर अस्पताल पहुंचे, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद बच्ची के चाचा ने जब शव ले जाने के लिए वाहन की मांग तो किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। वह शव को कंधे पर लेकर इधर उधर घूमता रहे। आखिरकार उन्होंने एक दोस्त को फोन कर बाइक मंगवायी और शव घर ले गए।
बिहार में यह इस तरह की कोई पहली घटना नहीं है। कभी ऑक्सीजन का सिलिंडर हाथों में लेकर परिजन घूमते रहते हैं और इलाज के नाम पर उन्हें इधर से उधर दौड़ाया जाता है तो कभी एंबुलेंस के अभाव में मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है। कुछ साल पहले उड़ीसा से एक खबर आयी थी कि दाना मांझी नाम के एक व्यक्ति को एंबुलेंस नहीं मिला था तो वह अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लादकर ले गए थे। बिहार में प्रतिदिन कई दाना मांझी सिस्टम की मार झेल रहे हैं।