गठबंधन के लिए मायावती ने रखी ऐसी शर्त, मुश्किल में पड़ गई कांग्रेस!

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने भले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को विदेशी कहने वाले पार्टी उपाध्यक्ष और नेशनल कॉर्डिनेटर जयप्रकाश सिंह को पद से हटा दिया हो मगर कांग्रेस के सामने ऐसी शर्त रखी है जिससे कांग्रेस खेमे में बेचैनी है। दरअसल, इस साल के अंत तक होने वाले विधान सभा चुनावों में बसपा ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों राज्यों में चुनाव पूर्व गठबंधन की शर्त रखी है। बसपा का कहना है कि अगर कांग्रेस से गठबंधन होगा तो तीनों राज्यों में होगा, अन्यथा एकला चलेंगे। जबकि कांग्रेस राजस्थान छोड़कर बाकी दोनों राज्यों में गठबंधन की इच्छुक है। पिछले दिनों जब राहुल गांधी ने तीनों राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों और प्रदेश प्रभारियों के साथ बैठक की तो राजस्थान कांग्रेस के चीफ सचिन पायलट ने साफ शब्दों में कहा कि वहां कांग्रेस अपने दम पर वसुंधरा राजे की सरकार उखाड़ने में सक्षम है। लिहाजा, वहां गठबंधन न किया जाय। हालांकि, पार्टी अध्यक्ष ने 15 दिनों के अंदर गठबंधन पर विस्तृत रिपोर्ट तलब किया है।

दरअसल, कांग्रेस नेताओं को लगता है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता लहर है, इसलिए उनकी राह आसान है। राज्य में हुए उप चुनावों में कांग्रेस की जीत ने उनकी उम्मीदों को और अधिक मजबूत बना दिया है। लिहाजा, कांग्रेस नेता वहां बसपा से गठबंधन के इच्छुक नहीं हैं, जबकि मध्य प्रदेश में बीजेपी के 15 वर्षों के शासनकाल के बाद कुछ सत्ता विरोधी लहर है मगर वह इतनी व्यापक नहीं कि कांग्रेस अपने बूते उसे भुना ले और शिवराज सिंह चौहान को सत्ता से बेदखल कर दे। इसलिए कांग्रेस वहां दलित वोट बैंक के लिए मायावती की ओर निगाहें लगाए बैठी है। राज्य के उत्तरी सीमावर्ती इलाके में करीब दर्जनभर से ज्यादा जिलों में बसपा की पकड़ मजबूत है। इसके अलावा बसपा पिछले विधान सभा चुनावों में चार सीटें जीतने के साथ-साथ करीब 6.29 फीसदी वोट मिले थे। उस चुनाव में कांग्रेस को बीजेपी से मात्र पांच फीसदी कम वोट मिले थे। ऐसे में लगता है कि बसपा के साथ गठबंधन होने से वोट फीसदी तो बढ़ेगा ही सीटें भी बढ़ेंगी।

छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस दलित वोटों के लिए मायावती के आसरे है। वहां भी पार्टी नेता बसपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन चाहते हैं। मगर बसपा खेमे ने क्षेत्रीय प्रसार की नीति के तहत तीनों राज्यों में गठबंधन की शर्त रखकर कांग्रेस को सकते में डाल दिया है। वैसे राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस किसी भी सहयोगी दल से सम्मानजनक समझौते की हर कोशिश करेगी। लिहाजा, माना जा रहा है कि स्थानीय नेतृत्व के मना करने के बावजूद राजस्थान में भी कांग्रेस बसपा से गठबंधन कर उसे कुछ सीटें दे सकती है।

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