सृजन फर्जीवाड़े की पुलिस थाने में पांच एफआईआर और दर्ज
सैकड़ों करोड़ के सृजन घोटाले में इजाफा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। जिले के पांच प्रखंडों के अधिकारियों ने 54 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े की थाना कोतवाली में पांच एफआईआर दर्ज कराई है। यह जिलाधीश आदेश तितमारे के निर्देश पर कार्रवाई की गई है। हांलाकि, एसएसपी मनोज कुमार बताते हैं कि इन निकासी में कुछ रकम सरकारी खाते में जमा भी हुई है। जमा का स्रोत क्या है, यह जांच का मुद्दा है। लेकिन सरकारी खातों से बैंक के जरिए सृजन के खाते में धन बगैर किसी निर्देश और जानकारी के हस्तांतरित कर देना ही अपराध की श्रेणी में आता है।
दर्ज एफआईआर के मुताबिक शाहकुंह ब्लाक के 8 करोड़ रुपए, संहोला ब्लाक के 23 करोड़, गोराडीह के 4 करोड़, जगदीशपुर प्रखंड के करीब 9 करोड़ और करीब 10 करोड़ रुपए की निकासी पीरपैंती ब्लाक से की गई है। अभी सरकारी खातों की जांच और ऑडिट का काम चल रहा है। रकम में इजाफा से इंकार नहीं किया जा सकता। अभी तक घपला 1200 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच चुका है। ब्लाक स्तर पर जो घपले सृजन के जरिए किए गए, ये सभी गरीबों की योजनाओं के हैं। जो सालों से बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, सरकारी मुलाजिम और प्राइवेट एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की सांठगांठ से सेंध लगाई जा रही थी।
इस सिलसिले में अब तक 20 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। इसमें से 9 एफआईआर सीबीआई ने दर्ज की है। ब्लाक की दर्ज कराई प्राथमिकी मंगलवार और बुधवार की ताजा है। बाकी 2 मामले बांका और 1 सहरसा का है। इन जिलों में भी सृजन का अजगर पहुंचा है। सहरसा का मामला भी सीबीआई ने अपने जांच के दायरे में लिया है। बाकी मामलों की अधिसूचना जारी होने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इधर, एडीजे शिवानंद मिश्रा की अदालत सृजन से जुड़ी तीन महिलाओं रूबी कुमारी, अर्पणा वर्मा और राजरानी वर्मा की अग्रिम जमानत की अर्जी की सुनवाई 23 सितंबर को करेगी।
सीबीआई ने भी जेल में बंदी सरकारी, बैंक और सृजन के कर्मचारी व अधिकारियों से पूछताछ करने की अनुमति सीबीआई कोर्ट में अर्जी देकर मांगी है। इसके अलावा रोजाना कागजों की और बैंक निकासी के वाउचर और चेक को अपने कब्जे में ले लिया है। मगर चेक पर आईएएस अधिकारी रहे डीएम व डीडीसी के दस्तखत का फोरेंसिक जांच हो रहा है या नहीं इसका पता नहीं चल पाया है। सूत्रों के मुताबिक सभी ने अपने दस्तखत फर्जी बताए हैं। इसका खुलासा होने पर ही असलियत का पता चल सकेगा।
जानकार बताते है कि जिन लोगों ने सृजन से बतौर कर्ज मोटी रकम ले रखी है या डकार लिए हैं, पुलिस जांच के बाद फरार हो गए थे। सीबीआई जांच अपने हाथ में लेने के बाद थोड़ा इत्मीनान हो वापस शहर में आ गए हैं। लेकिन सृजन की सचिव प्रिया कुमार और इनके पति अमित कुमार का कोई पता नहीं है।