माफिया से परेशान आईएएस ने मांगा ट्रांसफर, विरोध में बिहार सरकार पहुंची हाई कोर्ट
ट्रांसपोर्ट माफिया की धमकी से परेशान से बिहार के एक आईएएस जितेद्र गुप्ता ने हरियाणा कैडर में तबादले से लिए अर्जी लगाई थी। इसके विरोध में बिहार सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया है। जितेंद्र गुप्ता 2013 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। जब वे 2015 में मोहनिया में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे, तब उन्होंने अवैध कार्यों में संलिप्त एक संगठित समूह पर धावा बोला था। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, आरटीआई के तहत बिहार पुलिस से प्राप्त के अांतरिक जानकारी में यह सामने आया है कि उन्होंने अपने तबादले के दावे का समर्थन करने लिए उन्होंने कहा था कि उनकी जान को खतरा है। 19 जून 2017 को एसएसपी के ऑफिस से पुलिस महानिरीक्षक (सुरक्षा) को भेजे गए रिपोर्ट में यह कहा गया था कि उन्हें माफिया द्वारा एक साजिश के तहत घूस लेने के मामले में फंसाया गया। यहां असमाजिक तत्वों और माफिया से उनकी जान को खतरा है।
दरअसल, 12 जुलाई, 2016 को बिहार के निगरानी विभाग उनके घर पर छापा मार कर उन्हें ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर से घूस लेने के मामले में गिरफ्तार किया था। एक महीने जेल में रहने के बाद डॉ. गुप्ता ने विजिलेंस के द्वारा किए गए एफआइआर के खिलाफ पटना हाईकोर्ट का रूख किया और याचिका दायर कर कहा कि माफिया के खिलाफ काम करने की वजह से उन्हें फंसाया गया। इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने उसी वर्ष 28 अक्टूबर को उस प्राथमिकी को रद्द कर दिया था। डॉ गुप्ता ने अदालत से कहा कि उन्हें कुछ पुलिस, परिवहन अधिकारी और राजनेताओं के साथ सांठ-गांठ रखने वाले माफिया ने फंसाया था।
बिहार सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर को रद्द करने और अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। तब डॉ गुप्ता को पर्यावरण और वन विभाग के विशेष अधिकारी के रूप में तैनात किया गया था। इसके बाद डॉ गुप्ता ने हरियाणा में इंटर कैडर ट्रांसफर के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। उनका कहना था कि पटना में उन्हें धमकी भरे कॉल आ रहे हैं। उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को इनकी शिकायत को देखने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। विभाग ने डॉ गुप्ता के हरियाणा कैडर में ट्रांसफर करने के आवेदन पर विचार किया और बाद में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया। बिहार सरकार ने इस तबादले का विरोध किया और मार्च में दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया।
मामला सुनवाई के लिए 16 जुलाई को कोर्ट के पास आया। कोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले किसी भी तरह की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। बिहार सरकार के एक उच्च अधिकारी ने इस बाबत बताया कि जिस आधार पर डॉ गुप्ता ने ट्रांसफर की अर्जी दी है, वह स्वीकार्य नहीं है।लगभग 12 करोड़ लोग बिहार में रहते हैं और उनकी याचिका में कहा गया है कि उन्हें अपने जीवन के लिए खतरा है। सरकार इसका विरोध जारी रखेगी। अगर उसने पारिवारिक परिस्थितियों और अन्य सभी आधारों पर स्थानांतरण की मांग की होती, तो हमने विचार किया होता। लेकिन अगर हम इसे अनुमति देते हैं, तो यह राज्य की छवी के लिए खराब होगा।