उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक नही हैं योगी सरकार में कानून व्यवस्था से संतुष्ट, बोले नहीं हुआ पूरी तरह सुधार

22  जुलाई को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल का चौथा वर्ष पूरा करने जा रहे राम नाईक योगी सरकार में कानून व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं। उन्हाेंने कहा कि प्रदेश में विकास हो रहा हैं। माफिया राज पर शिकंजा कसा है। इसके बावजूद कानून व्यवस्था में पूरी तरह सुधार नहीं हुआ है। अपराध की घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगा है। अभी इस दिशा में और अधिक सुधार की जरूरत है। दैनिक जागरण के अनुसार, उन्होंने कहा कि मैंने सपा की सरकार को भी देखा और अभी योगी सरकार को देख रहा हूं। एक फर्क यह है इस सरकार में माफियाराज पर अंकुश लगा है, इसके बावजूद अपराधों पर लगाम नहीं लगे हैं। अभी और अधिक सुधार की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि पौने तीन वर्ष सपा सरकार के दौरान तत्कालिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कभी-कभी राजभवन आते थे, लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15दिनों के अंतराल पर राजभवन आते रहते हैं। मैं कई मामलों पर सुझाव भी देता हूं, जिसपर अमल होता है। पहले केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टी की सरकार की वजह से कई तरह की परेशानियां होती थी, लेकिन एक पार्टी की दोनों जगह सरकार होने से सूबे का विकास हो रहा है। मेट्रो, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि पर तेजी से काम हो रहा है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री होने की वजह से यूपी को फायदा हो रहा है। बनारस में भी बदलाव दिख रहा है।

राम नाईक ने यह भी कहा कि कौन मेरे बारे में क्या बोलता है, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं राजनीतिक बयान पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करता। मैं संवैधानिक व्यवस्था का पालन करते हुए काम करता हूं और आगे भी करता रहूंगा। राज्यपाल पद पर रहते हुए मेरी यही कोशिश रहती है कि प्रदेश का विकास हो। सूबे में उद्योग को बढ़ावा मिले। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हो। इसका असर भी दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर समिट में बड़े पैमाने पर एमओयू साइन हुए। रिसर्च को बढ़ावा देने की दिशा में काम हो रहा है। इलाहाबाद शहर का नाम बदलने की बात पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि शहर का नाम वही हो, जिससे उसकी पहचान है। मैंने बम्बई को उसका सही नाम मुम्बई दिलवाया। कई और शहरों के भी नाम बदले। मेरे अनुसार इलाहाबाद का नाम भी प्रयागराज होना चाहिए। हालांकि, इस संबंध में अंतिम निर्णय राज्य सरकार को करना है। मेरे राज्यपाल रहने के दौरान लोगों का राजभवन के प्रति विश्वास बढ़ा है। आम लोगों के बीच यह संदेश गया है कि सरकार राजभवन की भी सुनती है।

बता दें कि 16 अप्रैल 1934 को महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे राम नाईक ने 1959 से भारतीय जनसंघ से जुड़े हुए हैं। पहले उन्होंने एजी ऑफिस में अपर श्रेणी लिपिक के रूप में कार्य किया और उसके बाद निजी क्षेत्र में नौकरी करने लगे। वे भाजपा मुंबई के तीन बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1978 में पहली बार विधायक बने थे। तीन बार विधायक रहने के बाद पांच बार सांसद चुने गए। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे 1999 से 2004 तक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री के साथ ही केंद्रीय रेल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे। 25 सितंबर 2013 को चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की और फिर 2014 से उत्तर प्रदेश के राज्यपाल हैं। इनकी जीवटता का प्रमाण यह है कि इन्होंने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पर भी विजय हासिल की और सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।

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