राजनाथ सिंह ने सिख दंगों को बताया सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग, तब मीट काटने वाले हथियार से कसाई ने काटे थे इंसान
अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने देशभर में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर दुख जाहिर किया है और इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 1984 का सिख दंगा देश की सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग थी। राजनीतिक विरोधियों पर हमला बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “मैं इस मुद्दे को उठाने वाले लोगों को बताना चाहता हूं इससे भी बड़ा मॉब लिंचिंग का मामला 1984 में सिखों के खिलाफ नरसंहार के समय हुआ था।” बता दें कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा हत्या करने के बाद राजधानी नई दिल्ली और आसपास के इलाकों में सिखों के खिलाफ दंगा भड़क उठा था।
31 अक्टूबर, 1984 की सुबह जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने सरकारी आवास पर स्थित आवासीय दफ्तर जा रही थीं, तभी उनके अंगरक्षकों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग दी थीं। ये अंगरक्षक सिख थे। इसके बाद देशभर में सिख विरोधी दंगा भड़क गया था। आधिकारिक रूप से इन दंगों में 2733 सिखों को निशाना बनाया गया। हालांकि, गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस नरसंहार में मृतकों की संख्या करीब 3900 थी। राजधानी नई दिल्ली इन दंगों की वजह से जल उठी थी। कई जगहों पर सिखों के घरों और दुकानों को लूटकर आग के हवाले कर दिया गया था। कई लोगों को जिंदा जलाने के भी आरोप हैं। दिल्ली के लाजपत नगर, जंगपुरा, डिफेंस कॉलोनी, फ्रेंड्स कॉलोनी, महारानी बाग, पटेल नगर, सफदरजंग एनक्लेव, पंजाबी बाग, त्रिलोकपुरी आदि कॉलोनियों में तांडव मचा था। कई गुरुद्वारों में आग लगा दी गई थी।
त्रिलोकपुरी के दंगों का एक आरोपी किशोरी लाल भी है। उसके खौफ की कहानी बयां करते हुए दंगों के पीड़ित त्रिलोकपुरी के ब्लॉक 32 के निवासी मंशा सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि इलाके में मीट की दुकान चलाने वाला किशोरी लाल 1 नवंबर, 1984 को उन्हीं हथियारों से लोगों को काट रहा था जिससे वो एक दिन पहले तक भेड़-बकरी की खाल उधेड़ता था। मंशा सिंह ने बताया कि वो किशोरी लाल की हरकतें देखकर डर गए थे क्योंकि वो पड़ोसी दर्शन सिंह के बेटे की बाहें काट रहा था। मंशा सिंह ने तीन साल पहले दिए इंटरव्यू में कहा था कि उसने अपनी आंखों के सामने अपने तीन बेटों को मरते देखा था। उस वक्त किशोरी लाल एक दंगाई भीड़ का अगुवा बना हुआ था। बतौर मंशा सिंह किशोरी लाल ने उसके तीनों बेटों को घर से निकाला, उस पर चाकू और रॉड से वार किया। इससे उसकी मौत हो गई थी।
2014 में 74 साल के हो गए मंशा सिंह कहते हैं, “मैंने अपनी आंखों के सामने अपने तीन बेटों को मरते हुए देखा, उन्हें टुकड़ों-टुकड़ों में कर दिया गया, लोहे की रॉड से पीटा गया, मैं अपने बच्चे को बचा नहीं पाया, मैं नहीं जानता कि वाहे गुरू ने मुझे क्यों जिंदा रखा, मैं तो अपने शत्रु के लिए भी ऐसा नहीं सोचता हूं।” दंगों के बाद मंशा सिंह ने त्रिलोकपुरी छोड़ दी थी। अब वो तिलक विहार में रहते हैं। किशोरी लाल इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद है। निचली अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे उम्र कैद में बदल दिया है।