नवरात्रि 2017: जानिए, किस दिन मां के किस रुप को क्या भोग लगाया जाना शुभ माना जाता है
आज दूसरा नवरात्रि है, ये दिन मां ब्रह्मचारिणी का दिन होता है। “ब्रह्मचारिणी” माँ दुर्गा का दूसरा रूप हैं। इनकी उपासना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए ध्यान लगाया था। जिसके बाद उन्हें ब्रह्मचारिणी का रुप मिला था। यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं। मुख पर कठोर तपस्या के कारण अद्भुत तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर कर रहा है। मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है. इन चीजों का दूसरे नवरात्र वाले दिन दान किया जाए तो लंबी आयु का सौभाग्य प्राप्त होता है।
इसी तरह नवरात्र के हर दिन मां दुर्गा के हर रुप को अलग भोग लगाया जाता है। नवरात्रि का फल आपको तभी मिलता है जब हर दिन मां के सभी रुपों का पूजन अच्छे से किया जाए और उन्हें प्रसन्न किया जाए। चंद्रघंटा मां की तीसरे दिन पूजा की जाती है। मां दुर्गा के इस अवतार के माथे पर आधा चंद्रमा बना होता है। मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजें जैसे खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है, साथ ही इसका दान भी करना चाहिए। इससे मां खुश होती है और सभी दुखों का नाश करती है।
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा का पूजन किया जाता है। इसमें कू का अर्थ होता है छोटा और इश का मतलब उर्जा और अंडा का अर्थ होता है ब्रह्मांडीय गोला। इसलिए कूष्मांडा का अर्थ होता है सृष्टि या उर्जा का छोटे से वृहद ब्रह्मांडीय गोला। इस दिन मां कूष्मांडा को मालपुए का भी भोग लगाया जाता है। इसके बाद ब्राह्मण को भी दान देना शुभ माना जाता है। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी।
नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस दिन मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है। केले के हलवे का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है।
नवरात्र के छठें दिन मां कात्यानी देवी के पूजन में शहद का होना शुभ माना जाता है। मां को भोग लगाते समय शहद का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रभाव से साधक सुंदर रुप प्राप्त करता है।
कालरात्रि नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को गुड के लड्डू का प्रसाद अर्पित कर ब्राह्मण को दान करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति शोकमुक्त रहता है।
महागौरी अष्टमी के दिन मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। नारियल की बर्फी का भी भोग लगाया जा सकता है। ऐसा करना से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
सिद्धिदात्री नवरात्रि के आखिरी दिन मां को हलवा, चना-पूड़ी, खीर का भोग लगाकर छोटी कन्याओं को खिलाना चाहिए। इससे जीवन में सुख शांति और समृधि आती है।