बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए नही है रेलवे के पास राशि, वित्त मंत्रालय ने बाजार से धन जुटाने को कहा
वित्त मंत्रालय ने भारतीय रेलवे से कहा है कि वह बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए बाजार से धन जुटाए। मंत्रालय के अनुसार, बजट में इसके लिए कोई अतिरिक्त सहायता नहीं दी जाएगी। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHSRCL) को इस साल करीब 10,000 करोड़ रुपये की जरूरत है जिससे मुख्यत: भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। यह रकम भारत सरकार के 1.08 लाख करोड़ रुपये की लागत वाले मेगा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इसके अतिरिक्त डेडिकेटेट फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए 5,000 करोड़ रुपये देने का वादा सरकार ने किया है।
मीडीया रिपोर्ट के अनुसार रेलवे ने वित्त मंत्रालय से लगभग 18,000 करोड़ रुपये मांगे थे। हालांकि दोनों मंत्रालयों के नेतृत्वकर्ताओं की कई बैठकों के बाद, रेलवे को कहा गया कि वह बाजार से धन का इंतजाम (कर्ज) करे, बाद में यह रकम वित्त मंत्रालय चुका देगा। इस बात पर भी विचार हुआ कि इतने बड़े कर्ज को कौन वहन करेगा। इस पर वित्त मंत्रालय ने कहा कि वह मूलधन देने को तैयार है, मगर रेलवे ने कहा कि वह वार्षिक ब्याज और अन्य शुल्क का भार उठाने की स्थिति में नहीं है।
उच्च दर पर कर्ज लेने का मतलब है कि भारत सरकार के इस प्रोजेक्ट की लागत बढ़ेगी क्योंकि जापान से पहले ही कर्ज लिया गया है। अधिकारियों के अनुसार, पहले से ही भूमि अधिग्रहण के मुद्दों और अदालती पचड़ों से जूझ रहे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की राह में यह एक अनपेक्षित रोड़ा है। फिलहाल रेलवे अधिकारी अपनी जरूरतों पर विस्तार से एक नया प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं।
द संडे एक्सप्रेस से एक उच्चपदस्थ रेल मंत्रालय अधिकारी ने कहा, ”हमने वित्त मंत्रालय को बता दिया है कि हम मूलधन की लागत वहन नहीं कर पाएंगे। हमारे पास धन नहीं है। सरकार को ही इसका खर्च उठाना होगा, जैसा कि समझौता है। हम अगले महीने नए प्रस्ताव के साथ जाएंगे, हम इस पर काम कर रहे हैं।”