इन 16 दलों ने नहीं दिया साथ तो फेल हो सकता है राहुल गांधी का ‘मिशन 300’
कांग्रेस की कमान संभालने के सात महीने बाद राहुल गांधी की अध्यक्षता में रविवार (22 जुलाई) को पहली बार कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई, जिसमें 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने 300 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। मिशन 300 के लिए चुनावों में समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन का फैसला भी किया गया है। पार्टी के सीनियर नेता पी चिदंबरम का तर्क था कि पार्टी 12 राज्यों में मजबूत संगठन के बल पर 150 सीटें जीत सकती हैं लेकिन इससे ज्यादा के लिए सहयोगी दलों का सहारा लेना पड़ेगा। इस लिहाज से करीब दर्जनभर (13) राज्यों में पार्टी को 16 क्षेत्रीय दलों से अलग-अलग गठबंधन करना होगा। इन राज्यों में लोकसभा की कुल 403 सीटें हैं। इनमें से 280 सीटों पर बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए ने साल 2014 में जीत दर्ज की थी। माना जा रहा है कि नए राजनीतिक समीकरण से अगले साल के चुनावी परिणाम का अंकगणित बदल सकता है। इनमें से कुछ राज्यों में कांग्रेस का गठबंधन पुराना है जबकि कुछ राज्यों में उसे नए सिरे से गठबंधन करना होगा। बिहार में कांग्रेस लालू यादव की पार्टी राजद के साथ गठबंधन में है। नए राजनीतिक समीकरण के तहत उस गठबंधन में जीतन राम मांझी की पार्टी हम और शरद यादव की नई पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल भी साथ हो सकती है।
पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन में तीसरे दल के तौर पर रह सकती है। वहां सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद के गठबंधन के पूरे आसार हैं। पिछले उप चुनाव के नतीजों ने इन गठबंधन की भनक पहले से ही दे दी है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को 39.7 (एनडीए को 41.35) फीसदी वोट मिले थे जबकि सपा को 22, बसपा को 22.2, कांग्रेस को 6.2 और रालोद को 1.8 फीसदी वोट मिले थे। झारखंड में कांग्रेस, राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठबंधन रहा है। आनेवाले समय में इसमें पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम भी शामिल हो सकती है। इस साल के अंत तक विधान सभा चुनाव होने वाले राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी सहयोगी दलों से गठबंधन पर कांग्रेस जोर-शोर से मंथन कर रही है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस बसपा के अलावा सपा और जीजीपी से भी गठबंधन कर सकती है जबकि छत्तीसगढ़ में सिर्फ बसपा से समझौता कर सकती है।
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने तो राज्य में किसी भी दल से गठबंधन करने से मना किया है लेकिन पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए वहां बसपा से गठबंधन कर सकती है। राज्यों में होने वाला गठबंधन लोकसभा चुनावों तक जारी रह सकता है। हाल ही में विधान सभा चुनाव बाद गठबंधन कर सत्ता में वापसी करने वाले राज्य कर्नाटक में पार्टी अब जेडीएस और बसपा से लोकसभा चुनाव पूर्व गठबंधन कर सकती है। महाराष्ट्र में कांग्रेस पूर्व सहयोगी शरद पवार की एनसीपी से फिर गठबंधन कर सकती है। 2014 में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। तमिलनाडु में पार्टी डीएमके के साथ गठबंधन कर सकती है। इसके लिए बातचीत जारी है। पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस से गठबंधन कर सकती है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य में आम आदमी पार्टी से गठबंधन की वकालत की है। समझा जाता है कि बीजेपी अकाली गठबंधन को हराने के लिए पार्टी आप संग दोस्ती कर सकती है। पिछले विधान सभा चुनाव में 117 सीटों में से कांग्रेस को 77 सीटें और 38.64 फीसदी वोट मिले थे जबकि आप को 20 सीटें और 23.80 फीसदी वोट मिले थे। अगर पब्लिक के बीच रिएक्शन सही रहा तो दिल्ली में भी पार्टी आप से गठबंधन करने पर विचार कर सकती है। हालांकि, पिछले दिनों जब इसकी खबर सामने आई थी तब पार्टी नेताओं ने मना कर दिया था। गुजरात विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस वहां अब एनसीपी, बसपा और भारतीय ट्राइबल पार्टी को भी साथ कर सकती है। विधानसभा चुनाव में इन दलों ने करीब 2 फीसदी वोट और 3 सीट जीते थे। हरियाणा में भी कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल और बसपा एक साथ आ सकते हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में राज्य में भाजपा को 34.7 फीसदी वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 21.9, इनेलो को 24.4 और बसपा को 4.6 फीसदी वोट मिले थे।