…तो पाकिस्तान के होते अजीम प्रेमजी और पाकिस्तानी कंपनी होती विप्रो!
देश के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अजीम प्रेमजी 24 जुलाई, 2018 को 73 वर्ष के हो गए। देश के विभाजन के समय अगर अजीम प्रेमजी के पिता ने पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना की एक बात मान ली होती तो विप्रो पाकिस्तानी कंपनी होती और यह कारोबारी परिवार पाकिस्तान में होता। अजीम प्रेमजी पर आधारित कई किताबों और इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश के बंटवारे के समय मोहम्मद अली जिन्ना ने देश के पढ़े-लिखे और कारोबारी मुसलमानों को अपने साथ पाकिस्तान ले जाने की पेशकश की थी। जिन्ना ने अजीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हासिम प्रेमजी को भी पाकिस्तान में बसने को कहा था और उन्हें तब की पाकिस्तानी सरकार में बड़ी जिम्मेदारी संभालने का भी ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने पाक कायदे आजम का ऑफर यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि वह एक हिंदुस्तानी हैं और भारत में ही रहेंगे। इस प्रकार मूल रूप से गुजरात के कच्छ से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद हासिम प्रेमजी भारत में ही रहे। देश की आजादी के वक्त भी वह काफी जाने-माने कारोबारी थे और उन्हें ‘राइस किंग ऑफ बर्मा’ के नाम से जाना जाता था।
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में अजीम प्रेमजी ने बताया था कि उनके पिता का देहान्त 51 वर्ष की उम्र में हो गया था। पिता ने उन्हें पढा़ई के लिए अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी भेजा था, लेकिन उस अप्रिय घटना के बाद मां ने उन्हें फोन किया और वापस बुला लिया। आते ही उन्हें कारोबार संभालना पड़ा। तब वह केवल 21 साल के थे। पिता के द्वारा खड़ी गई ‘वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स’ को वह काफी आगे ले गए और WIPRO उसी का परिणाम है।
वर्तमान में अजीम प्रेमजी का कारोबार 65 से ज्यादा देशों में फैला है। उन्हें महादानी कारोबारी कहा जाता है जो 27 हजार करोड़ से ज्यादा की प्रापर्टी दान कर चुके हैं, कहा जाता है कि उन्होंने विप्रो का आधा हिस्सा दान कर दिया है। पिता की तरह अजीम प्रेमजी भी भारत को ही अपना घर बताते हैं। वह अजीम प्रेमजी फाउंडेशन नाम की एक एनजीओ भी चलाते हैं। अजीम प्रेमजी के मुताबिक पिता की मौत की वजह से बीच में ही छूटी इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई उन्होंने बाद अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पूरी भी की।