भीड़ की हिंसा पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने बनाई समितियां

भीड़तंत्र के द्वारा हिंसा की बढ़ती घटनाओं से चिंतित केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। ऐसी घटनाओं को दंडनीय अपराध के तौर पर परिभाषित किए जाने की प्रक्रिया शुरू की है। गृह सचिव राजीव गौबा की अगुवाई में सचिवों की एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है, जो इस मकसद से भारतीय दंड विधान में संशोधन सुझाएगी। इस कमेटी के सुझावों पर विचार कर फैसला लेने के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में मंत्रीसमूह का गठन किया गया है। सचिव स्तरीय कमेटी को चार हफ्तों में अपनी रिपोर्ट मंत्रीसमूह को सौंपने को कहा गया है। मंत्रीसमूह अपने सुझावों के साथ रिपोर्ट प्रधानमंत्री को देगा। लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने समितियों के गठन का एलान किया।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक में एक मॉडल कानून का मसविदा तैयार करने के विकल्प पर भी विचार किया गया, जिसे राज्य सरकारें भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं रोकने के लिए अपने यहां लागू कर सकें। सुप्रीम कोर्ट ने नया कानून बनाने के बारे में केंद्र सरकार को पहले ही सुझाव दे रखा है। इसी सुझाव को ध्यान में रखकर गृह मंत्रालय ने सोमवार को सचिव स्तरीय कमेटी का गठन किया, जो ऐसे कृत्य को दंडनीय अपराध के तौर पर परिभाषित करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में संशोधन सुझाएगी।

इस कमेटी में गृह सचिव के अलावा कानूनी मामलों के सचिव, विधि सचिव, संसदीय मामलों के सचिव, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग के सचिव शामिल हैं। इस कमेटी के सुझावों पर विचार करने के लिए सरकार ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में मंत्रिसमूह (जीओएम) का गठन किया है। इसमें विदेश मंत्री, सड़क-परिवहन मंत्री, विधि मंत्री, जल संसाधन मंत्री और सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री को सदस्य बनाया गया है। मंत्री समूह अपने सुझाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेगा।

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