3 साल में 80% तक गिरी स्विस बैंक में भारतीयों की जमा रकम

नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से काले धन के खिलाफ चलाए गए अभियान को बड़ी सफलता मिली है। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि स्विस बैंक में भारतीयों की जमा राशि में वर्ष 2017 में 34 फीसद तक की कमी आई है। इसके अलावा नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद के तीन वर्षें में स्विस बैंक में भारतीयों द्वारा जमा कराई गई राशि में 80 फीसद की कमी दर्ज की गई। सरकार द्वारा इस बाबत जानकारी मांगे जाने के बाद स्विट्जरलैंड ने यह सूचना मुहैया कराई है। पिछले दिनों स्विस बैंक में एक बार फिर से भारतीयों की राशि बढ़ने की बात सामने आई थी। पीयूष गोयल ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से स्विस नेशनल बैंक में जमा कराने वाली राशि में वर्ष 2014 से 2017 के बीच 80% तक की कमी आई है। स्विस नेशनल बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय नागरिकों द्वारा लोन लेने या जमा कराने के मामलों में 34.5 फीसद तक (वर्ष 2017 में) की कमी दर्ज की गई है।’ वित्त मंत्री ने उस रिपोर्ट को भी आधारहीन बताया जिसमें स्विस बैंक में पैसा जमा कराने के मामलों में वृद्धि होने की बात कही गई थी। पीयूष गोयल ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेट्लमेंट से प्राप्त डेटा का भी हवाला दिया। उन्होंने उच्च सदन को बताया कि बीआईएस के डेटा के अनुसार, वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2017 में स्विट्जरलैंड में भारतीयों की संपत्ति में 34.5 फीसद तक की कमी आई है। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि इससे पहले ऐसी संपत्ति में 50 फीसद की वृद्धि की बात पूरी तरह से गलत है।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में काला धन अहम मुद्दा था। नरेंद्र मोदी ने काला धन जमा करने वालों पर कार्रवाई करने की बात कही थी। सत्ता में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ब्लैक मनी का पता लगाने के लिए विशेष जांच दल का भी गठन किया गया था। हालांकि, इस सबके केंद्र में स्विस बैंक में भारतीयों का खाता होने की बात ही थी। बाद में पनामा पेपर्स लीक मामले के सामने आने के बाद काले धन के अन्य ठिकानों का पता चला था। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने इस दिशा में कदम भी उठाए हैं। कई लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पनामा पेपर में शेल कंपनियों के जरिये काले धन को ठिकाने लगाने पर से पर्दा उठा था।

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