प्रधानमंत्री मोदी रवांडा दौरे पर, रवांडा में 100 दिनों तक चला था नरसंहार, मार दिये गए थे 8 लाख लोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन अफ्रीकी देशों के दौरे के पहले दिन रवांडा पहुंचे । यहां उन्होंने राष्ट्रपति पॉल कागमे से मुलाकात की। पीएम भी इस स्मारक पर जाएंगे। प्रधानमंत्री ने रवांडा के लिये 20 करोड़ डॉलर के कर्ज की पेशकश भी की है।

भारत सरकार ने ऐलान किया है कि जल्दी ही वो रवांडा में अपना दूतावास खोलेगी। सरकार की कोशिश है रवांडा से अपने रिश्तों को मजबूत करने और व्यापारिक संबंध स्थापित करने की। यह अफ्रीकी देश साल 1994 में उस वक्त अचानक चर्चे में आया था जब यहां नरसंहार में 8 लाख से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई थी। 100 दिनों तक चले इस नरसंहार में दो समुदाय के बीच भयंकर संघर्ष हुआ था। वर्ष 1994 में रवांडा के तत्कालीन राष्ट्रपति हेबिअरिमाना और बुरंडियान के राष्ट्रपति सिप्रेन की हत्या उनके प्लेन पर रॉकेट दाग कर कर दी गई थी। रवांडा के इतिहास में साल 1994 एक ऐसा काला अध्याय है जो दो समुदायों की हिंसक झड़प की वजह से रक्तरंजित हुआ।

रवांडा में उस वक्त तुत्सी और हुतु समुदाय के लोग प्रमुख रूप से रहते थे। देश में हुतु समुदाय की सरकार थी। अचानक 6 अप्रैल को देश के राष्ट्रपति की हत्या के अगले ही दिन देश में नरसंहार शुरू हो गया। हुतु समुदाय के लोगों को आशंका हो गई कि तुत्सी समुदाय के लोगों ने ही राष्ट्रपति हेबिअरिमाना की हत्या की है। हालांकि तुत्सी समुदाय के लोग इस हत्या से इनकार करते रहे हैं। कहा जाता है कि इस जंग में हुतु सरकार के सैनिक भी शामिल हो गए थे। रवांडा सेना के अधिकारी, पुलिस विभाग, सरकार समर्थित लोग और उग्रवादी संगठनों इस जंग को नरसंहार में तब्दील कर दिया और यहां 100 दिनों में लोगों की मौत का आंकड़ा 8 लाख तक पहुंच गया। इस संघर्ष में सबसे बुरी परिस्थितियों का सामना महिलाओं को करना पड़ा। विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक नरसंहार के दौरान कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं भी हुईं।

हालांकि 100 दिनों की नरसंहार के बाद हुतु और तुत्सी में एक बार फिर समझौता हो गया। हुतु समुदाय का नेता राष्ट्रपति और तुत्सी समुदाय का नेता देश का उपराष्ट्रपति बना। देश में नया सविंधान बना और उसकी के अनुसार चुनाव हुए। बहरहाल 1994 में हुए नरसंहार में मारे गए लाखों लोगों की याद में यहां स्मारक केंद्र भी बनाया गया है।

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