अलवर के मॉब लिंचिंग के बाद दहशत में मुसलमानों ने अपनी गायें दान कर भैंस पालने का कर रहे फैसला

मीडीया में आई रिपोर्ट के अनुसार  मॉब लिंचिंग के बाद अलवर के मुसलमान दहशत में हैं। वे डरे हुए हैं और अपनी गायें दान कर रहे हैं। अब उन्होंने भैंस पालने का फैसला किया है। 52 साल के मोहम्मद इस्लाम ने अपनी गाय को दान करने निर्णय लिया है क्योंकि वे अपनी गाय को गाड़ी में रखकर वेटनरी क्लिनिक नहीं ले जा सके हैं। ड्राईवर ने गौरक्षा दल की वजह से उन्हें नीचे उतार दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, अलवर जिले के पीपरौली में गांव के बाहर एक दुकान पर बैठे इस्लाम ने शनिवार को अखबार में मॉब लिंचिंग के शिकार बने रकबर खान के बारे में पढ़ा। वहां बैठे एक और व्यक्ति ने गहरी सांस लेते हुए आंखे नीची कर कहा कि यह कहां रूकेगा? उन्होंने कहा कि एक समय की बात है जब मेरे पास एक गाय थी, जो 24 लीटर दूध देती थी। लेकिन जब कई घटनाएं सामने आयी तो एक दिन मैनें अपनी गाय को गौशाला में देने का विचार किया। उसके जैसे कई मुसलमान किसानों ने अब भैंस खरीदना शुरू कर दिया है। गाय की अपेक्षा भैंस काफी सुरक्षित है। लेकिन यह गाय से महंगी होती है और कई लोगों की आर्थिक पहुंच से दूर है।

उस किसान की कहानी मुस्लिम समुदाय के एक बड़े तबके के किसानों जैसी है, जिनके बीच गौरक्षकों की वजह से भय व्याप्त हो गया है। ये लोग कई पीढ़ीयों से जानवरों का पालन कर रहे थे। चर्चा के दौरान शबुद्दीन खान ने उत्तेजना में कहा कि अब हमने तो गाय रखना बंद कर दिया। जो लोग गाय को रखना नहीं जानते हैं, वे हमें तस्कर बोलते हैं। गांव वालों ने बताया कि उनमें से कुछ लोग चाहते हैं कि हम अपनी गाय दान कर दें। भारतीय परंपरा रही है कि गाय को गरीब परिवारों को दान किया जाता है। इसे अपने भाग्य के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन उन्हें कोई एक भी गौ लेने वाला नहीं मिला। मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि अब लोग गाय को दान के रूप में स्वीकार करना नहीं चाहते हैं। सभी को अपनी एक जान की परवाह है।

गांव वालों ने कहा कि कई वर्षों से रामगढ़ में हिंदू और मुस्लिम एक साथ अच्छे पड़ाेसी की तरह रह रहे हैं। हिंदू हमारे घर शादी विवाह व अन्य आयोजन पर आते हैं। वर-वधु को आशीर्वाद देते हैं। वे हमें भी उतने ही उत्साह से अपने घर के आयोजनों में हमें बुलाते। हम हमेशा एक दूसरे की सहायता करते हैं। यहां कभी सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ। लेकिन इन चार सालों में काफी लोगों को शिकार बनाया जा रहा है। कई लोगों ने कहा कि स्थानीय गुंडे जान-बूझकर हमें बीफ खाने वाले के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। यहां कभी किसी ने बीफ नहीं खाया है। गुंडों के द्वारा हमारे उपर झूठा आरोप लगाया जा रहा है। ये वो हैं, जो गाय के नाम पर दूसरों की हत्या तो कर देते हैं, लेकिन गाय को एक जगह से दूसरे जगह कैसे ले जाया जाता है, इन्हें नहीं मालूम है।

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