कारगिल: पाकिस्तान ने खोए थे 350 जवान, इन दो सैनिकों को दिया था सबसे बड़ा सैनिक सम्मान

एक दशक से ज्यादा समय तक पाकिस्तान ने कारगिल में मारे गए अपने सैनिकों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की थी। नवंबर 2010 में पाकिस्तान ने चुपचाप से अपने दो सैनिकों को वीरता सम्मान दिया तो पोल खुल गई। कारगिल युद्ध में भारत के हाथों मारे गए 350 सैनिकों के नाम पाकिस्तानी सेना की वेबसाइट पर शहीद वाले विकल्प में प्रकाशित किए गए थे। दो पाक सैनिकों को हीरो बताया गया था, जिनके नाम करनाल शेर खान और हवलदार ललक जान थे। इन दोनों को पाकिस्तान के सबसे बड़े वीरता पुरस्कार निशान-ए-हैदर से नवाजा गया था, जबकि पाकिस्तान ने कभी भी आधिकारिक तौर पर इस बात का खुलासा नहीं किया था कि 1999 के युद्ध में उसके कितने सैनिक मारे गए थे। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने 2007 में प्रकाशित अपनी किताब में स्वीकार किया था कि कारगिल युद्ध में उनके 357 सैनिक मारे गए थे और 665 सैनिक घायल हुए थे। 2010 में पहली दफा पाकिस्तानी सेना की वेबसाइट ने कारगिल ऑपरेशन की बात की थी जिसका मोर्चा उसकी नादर्न लाइट इन्फेंट्री ने लिया था।

भारत की तरफ से आधिकारिक आंकड़ों में बताया गया था कि युद्ध में पाकिस्तान के 1000-1200 सैनिक मारे गए थे और 200 के करीब पाक सैनिकों को भारत में ही दफना दिया गया था। बता दें कारगिल की जंग के पीछे मुख्य कारण यह बताया जाता है कि पाकिस्तान कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना चाहता था और भारतीय अस्मिता को खतरे में डालने के लिए भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना की साजिश रच रहा था। पाकिस्तान को लगता था कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का तनाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर को मुद्दा बनाएगा।

नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए पाक ने चुपके से अपने सैनिकों और पाक समर्थित आतंकवादियों को नियंत्रण रेखा से घुसपैठ कराकर कई चोटियों पर कब्जा कर लिया था। पाक ने इस करतूत का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। पता लगने पर भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से दो लाख सैनिकों को भेजा और कारगिल जंग शुरू हुई। आधिकारिक रूप से युद्ध 26 जुलाई 1999 को खत्म हो गया था। युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हो गए थे और 1300 से ज्यादा जवान घायल हुए थे। शहीद होने वाले 71 जवान जम्मू कश्मीर के थे।

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