नरेंद्र मोदी के राज में 3 वर्षों में 2 हजार से ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं, मारे गए 294 लोग
नरेंद्र मोदी के शासन काल के पिछले तीन वर्षों में दो हजार से ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई। इनमें करीब 294 लोग मारे गए। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने यह बात बुधवार को राज्यसभा में बताई। उन्होंने सदन में बताया कि वर्ष 2017 में 822 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई, इसमें 111 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। 2016 में 703 सांप्रदायिक हिंसा की घटना हुई, जिसमें 86 लोग मारे गए। वहीं, 2015 में 751 घटनाओं में 97 लोग मारे गए।
आंकड़ों पर गौर करें तो यह साफ दिख रहा है कि वर्ष 2016 के मुकबाले वर्ष 2017 में सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। वहीं, जान गंवाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ गई। 2016 में जहां 86 लोग मारे गए थे, वहीं, 2017 में यह आंकड़ा 111 तक पहुंच गया। इसी वर्ष फरवरी माह में गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार सांप्रदायिक हिंसा के सबसे ज्यादा मामले भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश में आए। यहां सांप्रदायिक हिंसा की 195 घटनाएं हुई, जिसमें 44 लोग मारे गए। वहीं, कर्नाटक में 100 सांप्रदायिक घटनाएं हुई और 9 लोग मारे गए। बिहार में सांप्रदायिक हिंसा की 85 घटनाएं हुई, जिसमें 3 लोग मारे गए। ये आंकड़े बताने को काफी हैं कि देश किस तरह सांप्रदायिक आग में झुलस रहा है। हांलाकि, इस पूरे मामले पर मोदी सरकार के मंत्री का अलग ही तर्क है।
मोदी सरकार के मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने एक लिखित जवाब में यह कहा कि लॉ एंड ऑर्डर तथा शांति और सौहार्द बनाए रखने जिम्मेदारी राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों की होती है। उन्हीं के पास दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने और तत्काल किसी तरह का निर्णय लेने का अधिकार होता है। उन्होंने आगे कहा कि देश में सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के लिए केंद्र राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करती है। उन्हें समय-समय पर खुफिया जानकारी व सुरक्षा संबंधी अन्य जानकारी दी जाती है। देश में सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने के लिए, केंद्र राज्य सरकारों को विभिन्न तरीकों से सहायता प्रदान करता है जैसे कि खुफिया जानकारी साझा करना, महत्वपूर्ण घटनाओं पर समय-समय पर सतर्क संदेश और सलाह भेजना