बीजेपी के करीबी के हाथों बिकने की खबर से एनडीटीवी का इनकार
एनडीटीवी ने उस खबर का खंडन किया जिसमें दावा किया गया है कि चैनल को स्पाइसजेट के चैयरमैन अजय सिंह 600 करोड़ रुपये में खरीदने वाले हैं। द हिंदू ने एनडीटीवी के एक अधिकारी के हवाले से इस खबर को “पूरी तरह बेबुनियाद” बताया है। रिपोर्ट के अनुसार एनडीटीवी शुक्रवार (22 सितंबर) शाम तक इस बारे में आधिकारिक बयान भी जारी कर सकता है। इंडियन एक्सप्रेस को एनडीटीवी के करीबी सूत्रों ने बताया था कि “सौदा पक्का हो चुका है।” इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सौदे के बाद एनडीटीवी के सह-संस्थापक प्रणय रॉय और राधिका रॉय की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत रह जाएगी और अजय सिंह के पास करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। एनडीटीवी (नई दिल्ली टेलीविजन) की 1988 में स्थापना हुई थी। इस साल जून में सीबीआई ने प्रणय रॉय और राधिका रॉय के दफ्तर और घर पर छापा मारा था। एनडीटीवी पर बैंक का लोन न चुकाने और वित्तीय हेराफेरी का आरोप है। एनडीटीवी ने एक बयान जारी करके सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था।
एनडीटीवी के बिकने की खबर आने के बाद शुक्रवार शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों की कीमत में करीब पांच प्रतिशत का उछाल आया। बिक्री पर सवाल उठाने वाली खबर के आने के बाद कंपनी के शेयरों में उछाल थम गयी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के जून 2017 तक के आंकड़ों के अनुसार एनडीटीवी के प्रमोटरों प्रणय रॉय, राधिका रॉय और प्रमोटर संस्था आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के पास कंपनी की 61.45 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं 38.55 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक शेयरधारकों के पास है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने कंपनी के बिकने की खबर पर एनडीटीवी को जवाबतलब किया था। बीएसई की वेबसाइट पर उपलब्ध एनडीटीवी के जवाब में भी इस खबर को पूरी तरह गलत बताया गया है।
अजय सिंह भारतीय जनता पार्टी के करीबी हैं। साल 2014 के लोक सभा चुनाव से पहले बीजेपी की प्रचार कमान संभालने वाली मुख्य टीम में अजय सिंह शामिल थे। माना जाता है कि “अबकी बार मोदी सरकार” नारा उन्होंने ही दिया था। बीजेपी के करीबी कारोबारी द्वारा एनडीटीवी को खरीदने की खबर आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी। एनडीटीवी लगातार नरेद्र मोदी सरकार की आलोचना वाली खबरों को लेकर सोशल मीडिया पर बीजेपी समर्थकों के निशाने पर रहा है।