इंटरनेट से हटाए जा रहे हैं बीजेपी नेताओं के नफरत भरे बयान : रिपोर्ट में दावा

भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान बीते 4 सालों में की गई भड़काऊ और नफरत भरी बयानबाजी और सरकार की नीतियों के खिलाफ जाने वाले आर्टिकल मीडिया से हटाए जा रहे हैं। कारवां डेली डॉट काम ने एक आर्टिकल में इस बात का खुलासा किया है। खबर के अनुसार, कुछ सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि एनडीए सरकार के दौरान अल्पसंख्यकों के खिलाफ की गई नफरत भरी बयानबाजी और सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले न्यूज आर्टिकल ना सिर्फ इंटरनेट से बल्कि न्यूज पेपर्स से भी इन्हें हटाया जा रहा है।

अपनी रिपोर्ट “Dismantling India- A four year report” में मानवाधिकार कार्यकर्ता शबाना हाशमी, लीना दाबिरु और डॉ. जॉन दयाल ने यह गंभीर आरोप लगाया है। इंटरनेट से हटायी जा रही चीजों में नेताओं की नफरत भरी बयानबाजी, खासकर दंगों से जुड़ी हुई, अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयानबाजी आदि प्रमुख तौर पर शामिल हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ता और ANHAD (Act Now for Harmony and Democracy) की संस्थापक सदस्य शबाना हाशमी का कहना है कि इंटरनेट पर संगठित तरीके से सफाई अभियान चलाया जा रहा है। मिस्टर मोदी के भाषण यू-ट्यूब से 2014 से पहले ही हटा दिए गए थे। गौरव यात्रा के दौरान जो उन्होंने जहर उगला, वह सब भी हटा दिया गया है। अब ये लोग मोदी, आरएसएस और भाजपा के खिलाफ लिखे गए आर्टिकल्स, एडिटोरियल को हटाया जा रहा है।

सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता लीना डाबिरु का कहना है कि जब हम अपने डाटा को कम्पाईल कर रहे थे, तो हमें पता चला कि कई विवादित बयानों को इंटरनेट से हटा दिया गया है। इसके साथ ही द हिंदू, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस जैसे बड़े पेपरों में मौजूद आर्टिक्लस को भी हटा दिया गया है। लीना डाबिरु ने सरकार पर मीडियो को धमकाने का भी आरोप लगाया। बता दें कि डिस्मेंटेलिंग इंडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भाजपा के मौजूदा 28 एमएलए और एमपी नफरत भरी बयानबाजी कर चुके हैं, जो कि किसी भी सरकार में सबसे ज्यादा है। एक अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. जॉन दयाल ने फासीवादी ताकतों पर इंटरनेट से अपने पदचिन्ह साफ करने की कवायद माना है।

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