दुनिया के एक चौथाई भूखे लोग भारत में, देश की आधी से ज्यादा महिलाओं में खून की कमी : रिपोर्ट
दुनिया के देशों ने मिलकर वर्ष 2030 तक विश्व से भूख की समस्या को दूर करने का निर्णय लिया था। लेकिन यह लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा है। वजह ये है कि लंबे समय तक गिरावट के बाद वैश्विक स्तर पर भूख की समस्या एक बार फिर से बढ़ने लगी है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी वर्ष 2017 की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। विश्व खाद्य सुरक्षा एवं पोषण राज्य 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में कुपोषित लोगों लोगों की संख्या जो वर्ष 2015 में 777 मिलियन थी, वर्ष 2016 में बढ़कर 815 मिलियन हो गई। रिपोर्ट में यह भी दिख रहा है कि उनमें से 190.7 मिलियन लोग भारत के रहने वाले हैं। यूं कहें तो देश की कुल आबादी का 14.5 प्रतिशत भूख की समस्या से पीडि़त है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि दुनिया के एक चौथाई भूखे लोग भारत में रहते हैं। इसके साथ ही एक और चिंतिंत करने वाली बात सामने आयी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में पांच साल से कम उम्र के 38.4% बच्चे छोटे कद के होते हैं। वहीं बच्चे को जन्म देने के समय 51.4% महिलाओं में खून की कमी होती है। रिपोर्ट यह बताता है कि छोटे कद होने की वजह लंबे समय तक पौष्टिक आहार न मिलना है। इस वजह से उनका मानिसक और शारीरिक विकास प्रभावित होता है।
भारत में जहां छोटे कद के बच्चों का प्रतिशत 38.4 है, वहीं श्रीलंका में 14.7 और चीन में 9.4 है। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 2005 में जहां छोटे कद के बच्चों की संख्या 62 मिलियन थी, वहीं, 2016 में यह कम होकर 47.5 मिलियन हो गया। वहीं, ज्यादा वजन वाले व्यस्कों की संख्या जो 2014 में 29.58 मिलियन थी, वह 2015 में 14.6 मिलियन हो गई। वैश्विक स्तर पर, उपनगरीय अफ्रीका में कुपोषित (जनसंख्या का प्रतिशत) की संख्या सबसे अधिक है। पूर्वी अफ्रीका में तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़ी आबादी के कारण एशिया में सबसे ज्यादा कुपोषित लोगों की संख्या अफ्रीका में 243 मिलियन और लैटिन अमेरिका में 42 मिलियन है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी एशिया और पश्चिमी एशिया के कुछ हिस्सों में खाद्य सुरक्षा की स्थिति खराब हो गई है। संघर्ष की स्थिति में ज्यादातर गिरावट देखी गई है। लोग सूखे और बाढ़ से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 1980 से 2014 के बीच मोटापा का वैश्विक स्तर पर दोगुना हो गया। 2014 में 600 मिलियन से अधिक लोग या यूं कहें दुनिया की वयस्क आबादी का 13% मोटापे से ग्रस्त थे। गैर-संक्रमणीय बीमारियां जैसे कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां और मधुमेह की मुख्य वजह मोटापा है।