मुजफ्फरपुर शेल्‍टर होम: जिस दिन FIR हुई, उसी दिन एनजीओ को मिला सरकारी ठेका

बिहार के मुजफ्फरपुर में बालिका गृह में चल रहे घिनौने खेल का खुलासा होने के बाद से ही सनसनी मची हुई है। 29 बच्चियों के साथ रेप होने की पुष्टि होने के बाद प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। इस मामले के संबंध में एक के बाद एक काफी चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) की टीम कशिश ने गर्ल्स शेल्टर होम में चल रहे यौन शोषण के घिनौने खेल से संबंधित रिपोर्ट अप्रैल में सौंपी थी, लेकिन फिर भी स्टेट वेलफेयर डिपार्टमेंट (राज्य सामाजिक कल्याण विभाग) द्वारा इस एनजीओ को ठीक एक महीने बाद एक सरकारी प्रोजेक्ट का ठेका दिया गया था। यह प्रोजेक्ट उसी दिन दिया गया था, जिस दिन एनजीओ के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, यानी 31 मई के दिन।

मुजफ्फरपुर का यह बालिका गृह एनजीओ- सेवा संकल्प समिति द्वारा संचालित किया जाता था और इस एनजीओ का संचालक ब्रजेश ठाकुर नाम का व्यक्ति था। हालांकि, मामला सामने आने के बाद सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा एनजीओ को दिया गया सरकारी प्रोजेक्ट रद्द कर दिया गया। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि विभाग ने पटना में भिखारियों के लिए शेल्टर होम खोलने का प्रोजेक्ट सेवा संकल्प समिति को सौंपा था।

दस्तावेजों के मुताबिक सामाजिक कल्याण विभाग के तहत आने वाली स्टेट सोसायटी फॉर अल्ट्रा पुअर और सोशल वेलफेयर के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज कुमार ने 31 मई को यह प्रजोक्ट सेवा संकल्प समिति को सौंपा था, लेकिन तीन दिन बाद इसी सोसायटी के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी कृष्णा कुमार सिन्हा ने पटना की सामाजिक सुरक्षा इकाई के जिला सहायक निदेशक को यह ठेका रद्द करने को कह दिया। सिन्हा ने इसके पीछे ‘अपरिहार्य परिस्थितियों’ को कारण बताया।

आधिकारिक रिकॉर्ड्स के मुताबिक सेवा संकल्प समिति के संचालक ब्रजेश ठाकुर को मुजफ्फरपुर में पांच बालिका एवं महिला गृह चलाने के लिए हर साल केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 1 करोड़ रुपए दिए जाते थे। इसमें स्टाफ की सैलरी और सारी व्यवस्थाएं भी शामिल थीं। बता दें कि पुलिस ने ठाकुर समेत 10 लोगों को बच्चियों का रेप करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में एक अन्य चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ है। यहां रहने वाली 42 लड़कियों की जब पटना के पीएमसीएच में मेडिकल जांच की गई तो उस समय 29 बच्चियों के साथ रेप की बात कही जा रही थी, लेकिन अब मुजफ्फरपुर की एसएसपी हरप्रीत कौर ने कहा कि 29 नहीं, बल्कि 34 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है।

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