NRC विवाद पर बोले अमित शाह – राजीव गांधी में असम समझौता लागू करने की हिम्मत नहीं थी, हम में है
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज राज्यसभा में एनआरसी के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि ‘राजीव गांधी ने साल 1985 में असम समझौता किया था, जो कि NRC जैसा ही था। लेकिन उनकी सरकार में इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी, हमारे में ऐसा करने की हिम्मत है।’ अमित शाह के इस बयान पर कांग्रेस सांसदों ने हंगामा करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरु कर दिया। कई सांसद विरोध के दौरान वेल में आ गए। हंगामा बढ़ता देख राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने पहले राज्यसभा दोपहर 1.10 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। वहीं बाद में राज्यसभा को कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
क्या है असम समझौताः बता दें कि 80 के दशक में असम में अवैध रुप से रह रहे लोगों के खिलाफ एक आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन की अगुवाई ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और ऑल असम गण संग्राम परिषद् (AAGSP) ने की की थी। आंदोलनकारियों की मांग थी कि असम में अवैध रुप से रह रहे लोगों, खासकर बांग्लादेशियों, की पहचान की जाए और उन्हें वापस भेजा जाए। साथ ही असम के मूल निवासियों के संवैधानिक और प्रशासनिक अधिकारों की रक्षा की जाए। 6 साल तक चले इस आंदोलन के चलते साल 1985 में केन्द्र सरकार और आंदोलनकारियों AASU और AAGSP के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में एक समझौता हुआ था, जिसे ‘असम समझौते’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि इस समझौते की दिशा में सरकारों ने कोई कदम नहीं उठाया और बांग्लादेशी नागरिकों की असम में घुसपैठ बदस्तूर जारी रही। असम विधानसभा के बीचे चुनावों के दौरान प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने पर असम समझौते को लागू करने का वादा किया था।
बता दें कि सोमवार को जारी किए गए एनआरसी के ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों को जगह नहीं मिल सकी है। हालांकि अभी एनआरसी का तीसरा ड्राफ्ट भी जारी होना है। फिलहाल ड्राफ्ट में छूट गए लोग एक माह बाद जगह-जगह बनाए गए सेवा केन्द्रों में जाकर एनआरसी के लिए आवेदन कर सकेंगे। वहीं एनआरसी ड्राफ्ट के मुद्दे पर राजनैतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। आज इस मुद्दे पर राज्यसभा और लोकसभा में भी जमकर हंगामा हुआ।