…जब राज्‍यसभा में बोले वेंकैया नायडू- लोकतंत्र का भगवान ही माल‍िक है

मंगलवार को एनआरसी के मुद्दे पर राज्य सभा में जमकर हंगामा हुआ। उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू के आसन के पास वैल में जाकर विपक्षी सांसदों ने खूब नारेबाजी की। सभापति वैंकेया नायडू ने कई बार सांसदों से अपनी सीटों पर जाकर बैठने और देश के हित में सा​र्थक बहस करने की अपील की। लेकिन नायडू की बातों को विपक्ष ने अनसुना कर दिया। उन्हें बुझे मन से ये कहना पड़ा कि ‘अब लोकतंत्र को भगवान ही बचा सकता है।’ इसके बाद सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए रोक दिया गया।

जिस समय राज्य सभा में हंगामा शुरू हुआ। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपनी बात रख रहे थे। अमित शाह ने कहा कि देश में एनआरसी लाने के कारणों पर भी चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआरसी का प्रस्ताव राजीव गांधी के समय में आया था। लेकिन वह इसे लागू करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। शाह ने पूछा कि अगर कांग्रेस ने ये नहीं किया तो राजीव गांधी किसके प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने साल 1985 में आॅन रिकार्ड अवैध घुसपैठियों को निकालने के लिए एनआरसी लाने का वादा किया था। इसी बात पर विपक्ष के सांसद भड़क गए। अमित शाह को अपना भाषण रोकना पड़ा।

विपक्ष के कई सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी शुरू कर दी गई। सभापति वैंकेया नायडू ने सदस्यों को शांत करने की काफी कोशिश की। कई बार अपील करने के बाद भी जब सदस्य शांत नहीं हुए तो उन्होंने कहा,” हम उच्च सदन हैं। हमें जिम्मेदार और शालीन बर्ताव करना चाहिए।” उन्होंने सदस्यों से सीट पर जाने की अपील भी की। लेकिन जब सदस्य वापस नहीं लौटे तो उन्होंने कहा,” देश में लोकतंत्र को अब भगवान ही बचा सकता है।” इसके बाद सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

क्या है असम समझौताः बता दें कि 80 के दशक में असम में अवैध रुप से रह रहे लोगों के खिलाफ एक आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन की अगुवाई ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और ऑल असम गण संग्राम परिषद् (AAGSP) ने की की थी। आंदोलनकारियों की मांग थी कि असम में अवैध रुप से रह रहे लोगों, खासकर बांग्लादेशियों, की पहचान की जाए और उन्हें वापस भेजा जाए। साथ ही असम के मूल निवासियों के संवैधानिक और प्रशासनिक अधिकारों की रक्षा की जाए।

6 साल तक चले इस आंदोलन के चलते साल 1985 में केन्द्र सरकार और आंदोलनकारियों AASU और AAGSP के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में एक समझौता हुआ था, जिसे ‘असम समझौते’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि इस समझौते की दिशा में सरकारों ने कोई कदम नहीं उठाया और बांग्लादेशी नागरिकों की असम में घुसपैठ बदस्तूर जारी रही। असम विधानसभा के बीचे चुनावों के दौरान प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने पर असम समझौते को लागू करने का वादा किया था।

इस मुद्दे पर है विवाद: बता दें कि सोमवार को जारी किए गए एनआरसी के ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों को जगह नहीं मिल सकी है। हालांकि अभी एनआरसी का तीसरा ड्राफ्ट भी जारी होना है। फिलहाल ड्राफ्ट में छूट गए लोग एक माह बाद जगह-जगह बनाए गए सेवा केन्द्रों में जाकर एनआरसी के लिए आवेदन कर सकेंगे। वहीं एनआरसी ड्राफ्ट के मुद्दे पर राजनैतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। आज इस मुद्दे पर राज्यसभा और लोकसभा में भी जमकर हंगामा हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *