एनआरसी में न हो तो भी मतदाता सूची में रहेगा नाम : आयोग
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से नाम हटने का मतलब यह नहीं है कि मतदाता सूची से भी ये नाम हट जाएंगे। असम में हाल ही में जारी एनआरसी के मसविदे से करीब 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं किए जाने को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बुधवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि एनआरसी से नाम हटने पर मतदाता सूची से स्वत: नाम कटने का अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।
रावत ने स्पष्ट किया कि असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अगले हफ्ते एनआरसी के अंतिम मसविदे के प्रकाशन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट देंगे। उन्होंने कहा कि एनआरसी से नाम हटने का अर्थ यह नहीं है कि असम की मतदाता सूची से भी स्वत: नाम हट जाएंगे। जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 के तहत मतदाता के पंजीकरण के लिए तीन जरूरी अनिवार्यताओं में आवेदक का भारत का नागरिक होना, न्यूनतम आयु 18 साल होना और संबद्ध विधानसभा क्षेत्र का निवासी होना शामिल है।
ऐसे लोगों को मतदाता सूची में अपना पंजीकरण कराने के लिए मतदाता पंजीकरण अधिकारी के समक्ष दस्तावेजी सबूतों के आधार पर यह साबित करना होगा कि वह भारत का नागरिक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची और एनआरसी बनाने का काम अलग-अलग है, लेकिन अधिकारी इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। रावत ने कहा कि चुनाव आयोग की मुहिम का मकसद है कि कोई मतदाता छूट न जाए। इसके मद्देनजर असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से एनआरसी संयोजक के साथ करीबी तालमेल बनाकर 2019 के लिए मतदाता सूचियों की समीक्षा करने को कहा गया है। इसके आधार पर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चार जनवरी, 2019 को मतदाता सूची का अंतिम मसविदा जारी किया जा सके।