कहलगांव बांध मामला: एनटीपीसी ने जल संसाधन मंत्रालय पर फोड़ा ठीकरा
बीते 40 साल से बन रहे कहलगांव बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना का उद्घाटन के पहले ही बांध टूटने पर सियासत गर्म है। लोग इसे भ्रष्टाचार का बांध बता रहे हैं। इधर एनटीपीसी ने विज्ञप्ति जारी कर जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के आरोप को गलत करार दिया है। एनटीपीसी की ओर से कहा गया है कि भीतरी रास्ता बनाने के लिए सिंचाई विभाग से बाकायदा अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लिया गया था और पटना के मेसर्स एलमस टेक्नोलॉजी ने नक्शा बनाया था। जिसके अनुमोदन के बाद ही निर्माण कराया गया था। जिस वक्त भीतरी रास्ता बन रहा था उस समय नहर का किनारा आंशिक तौर पर ही बना था और नहर की मिट्टी भराई के पहले ही रास्ते का निर्माण हो चुका था। इसमें एनटीपीसी स्तर पर कहीं चूक नहीं हुई है।
बता दें कि मंगलवार को बांध टूटने के बाद जल संसाधन के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने अंडरपास के दोषपूर्ण निर्माण की वजह से बांध कमजोर होकर टूटने का इल्जाम एनटीपीसी पर लगाया था। इधर, शुक्रवार को जनाधिकार पार्टी के सांसद पप्पू यादव ने कहलगांव पहुंचकर बांध टूटने की जांच कराने की मांग की। इसके साथ ही 40 साल से बन रहे बांध की लागत भ्रष्टाचार की वजह से सुरसा की तरह बढ़ने का आरोप लगाया। गुरुवार को भारतीय किसान महासभा ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला फूंका और इस्तीफे की मांग की। राजद के युवा मोर्चा ने भी धरना दिया और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद बुलो मंडल और भागलपुर राजद अध्यक्ष तिरुपति यादव ने संबोधित किया।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने तो यहां तक कह दिया कि जल संसाधन मंत्री ललन सिंह पर नीतीश कुमार कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। इसकी वजह सब जानते है। उन्होंने कहा बिहार में चूहा बांध काट देने से बाढ़ आ गई, तो मगरमच्छ अपने थोथना (मुंह) से बांध तोड़ दिया? यही है भ्र्ष्टाचार का जीरो टालरेंस। वहीं पटना हाईकोर्ट में वकील मणिभूषण प्रताप सेंगर ने एक लोकहित याचिका भी दायर की है। जिसमें सही जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कर्रवाई की बात कही गई है। 1977 से बन रहे नहर का ट्रायल के दौरान ही पंप से छोड़े पानी का दबाब बांध नहीं झेल सका। जिसपर लागत 13.88 करोड़ की बजाए 40 साल में 389.31 करोड़ रुपए खर्च हुए।
हालांकि, बांध की मरम्मती का काम तेजी से किया जा रहा है। मगर भीतरी रास्ते में बांध के टूटने की वजह से भारी मात्रा में जमा गाद और मिट्टी नहीं निकाली जा रही है। नतीजतन एनटीपीसी मुख्य प्लांट तक बड़े वाहनों से सामान की ढुलाई ठप्प हो गई है। यह रास्ता अगल बगल गांव को भी जोड़ता है। बच्चों के स्कूल आने-जाने के अलावा सीआईएसएफ के जवान और अधिकारियों के लिए भी यह रास्ता काफी उपयोगी है।