ख़त्म हुई कड़कनाथ मुर्गे की 6 साल की कानूनी लड़ाई, मध्यप्रदेश के जीआइ टैग दावे पर लगी मुहर
छह साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार कड़कनाथ मुर्गा अब अाधिकारिक रूप से मध्यप्रदेश का हो गया। भारत की जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स रजिस्ट्री ने मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की पारंपरिक मुर्गा प्रजाति कड़कनाथ मुर्गे को लेकर राज्य के दावे पर मुहर लगा दी। बता दें कि झाबुआ प्रशासन ने वर्ष 2012 में जीआइ टैग के लिए आवेदन दिया था। करीब छह साल तह मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच चली इस लड़ाई में मध्यप्रदेश की जीत हुई। पहले मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों एक ही राज्य थे। लेकिन बंटवारे के बाद कड़कनाथ मुर्गे पर दावे को लेकर दोनों राज्यों के बीच जंग शुरू हुई। छत्तीसगढ़ के एक संगठन ने दावा किया था कि कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाती दंतेवाडा जिले की है। वहीं, दूसरी ओर झाबुआ जिले के सहकारी सोसायटी कृषक भारती को-ऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) के ग्रामीण विकास ट्रस्ट ने भी जीआइ टैग के लिए अावेदन किया था। आखिरकार 30 जुलाई को इसकी औपचारिक घोषणा की गई। यह जीअाइ रजिस्ट्रेशन सात फरवरी 2022 तक वैध रहेगा।
बता दें कि नॉनवेज खाने वालों के बीच कड़कनाथ मुर्गा काफी पसंद किया जाता है। यह काले रंग का होता है। इसकी त्वचा, कलगी, पंख, चोंच से लेकर मांस तक का रंग काला होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कड़कनाथ मुर्गे में अन्य नस्ल के मुर्गो के मुकाबले आयरन की मात्रा अधिक होती है। कॉलेस्ट्रोल बहुत कम पाया जाता है। प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। हार्ट और डायबिटीज के रोगियों के लिए इसका मांस दवा के रूप में काम करता है। इसके खाने से आंख की रौशनी भी बढ़ती है। इसके मांस की कीमत 900 रुपये से लेकर 1200 रुपये प्रतिकिलो होती है। इसका एक अंडा करीब 50 रुपये में मिलता है। अब इसकी मांग पूरे देश में होने लगी है। हालात ये है कि झाबुआ स्थित हैचरी में इसके चूजे लेने के लिए महीनों की वेटिंग चल रही है।
जीआई टैग: जीआइ टैग को जियोग्राफिकल इंडिकशेन टैग यानि भागौलिक संकेतक पंजीयन भी कहा जाता है। किसी भी वस्तु का मूल यदि किसी विशेष स्थान से संबद्ध है तो इसका रजिस्ट्रेशन किया जाता है। जीआइ टैग रजिस्ट्रेशन कार्यालय चेन्नई में हैं। बता दें कि इससे पहले पश्चिम बंगाल ने रसगुल्ला के लिए ओडिशा से जीआइ टैग जीता। वहीं, बिहार के तीन उत्पाद भागलपुर का जर्दालू आम, कतरनी चावल और नवादा के मगही पान को जीआइ टैग दिया गया था।