देशों से प्रत्यर्पण संधि में दहेज उत्पीड़न को शामिल किया जाए : समिति

संसद की समिति ने कहा कि भारत में दहेज उत्पीड़न दंडनीय अपराध है। लेकिन दुनिया के ज्यादातर देशों में कानून में ऐसी कोई अवधारणा नहीं है। लिहाजा, सरकार को ‘दहेज के लिए उत्पीड़न’ को प्रत्यर्पण संधि में शामिल करना चाहिए। लोकसभा में हाल ही में पेश विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से संबंधित याचिका समिति की रपट में चिंता जताई गई है कि भारत में उत्पीड़न के कुल मामलों में से दहेज उत्पीड़न के मामले सबसे अधिक हैं। समिति यह जानकर अचंभित है कि दहेज उत्पीड़न भारत में कानून के अंतर्गत दंडनीय अपराध है, लेकिन आस्ट्रेलिया सहित विश्व के ज्यादातर देशों में वैधानिक न्याय शास्त्र में न तो ऐसी कोई अवधारणा है और न ही कानून के अंतर्गत अपराध है।

समिति ने सिफारिश की है कि प्राधिकार इस पहलू पर गंभीरता से विचार करे और एनआरआइ पुरुष से शादी करने वाली पीड़ित महिला को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। रपट में समिति ने कहा कि भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में दहेज के लिए उत्पीड़न मामले को न्यायोचित ठहराने के लिए प्रत्यर्पण संधि में ‘दहेज के लिए उत्पीड़न’ के मुद्दे को भी शामिल किया जाए। समिति ने इस पर चिंता व्यक्त की है कि अप्रवासी भारतीय पुरुषों से शादी करने वाली प्रताड़ित महिलाओं के मामलों से निपटने के लिए विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के बीच संवाद व समझ की कमी है, जिससे प्रत्यर्पण अनुरोध में विलंब हो जाता है। इसके कारण भगोड़े को प्रत्यर्पण से बचने या प्रत्यर्पण प्रक्रिया में विलंब करने का अवसर मिल जाता है। अपनी सिफारिश में समिति ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए चूक रहित व त्वरित नेटवर्क बनाया जाए और इस श्रेणी में आने वाले मामलों की निगरानी के लिए समुचित कदम उठाए जाएं।

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