जब नौकरशाहों से परेशान नरसिम्‍हा राव ने ब्रिटिश अफसरों से पूछा था- कैसे काम करता है आपका PMO?

पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा उदारवादी और आर्थिक सुधारों को लेकर साल 1991 में उठाए गए कदमों के बाद उसे लागू करने में भारतीय नौकरशाहों के चलते काफी देरी हो रही थी, जिससे परेशान होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने ब्रिटेन की सरकार से सलाह मांगी थी। उन्होंने ब्रिटेन की सरकार से ‘असाधारण पूछताछ’ के जरिए यह जानना चाहा था कि उनका प्रधानमंत्री कार्यालय किस तरह से काम करता है।

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक राव ने इसके लिए अलग चैनल का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के लंदन के प्रतिनिधि मोहित सरोबर के जरिए ब्रिटेन के पीएमओ के कामकाज का तरीका जानना चाहा और नौकरशाहों की वजह से हो रही देरी की समस्या को कम करने के लिए सलाह मांगी थी। नेशनल आर्काइव के द्वारा जारी किए गए सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स में यह बात सामने आई है कि लबसे पहले यह रिक्वेस्ट व्यापार और उद्योग विभाग से की गई थी, जिसे 10 डाउनिंग स्ट्रीट को भेज दिया गया था।

विभाग के डेविड मेलविले ने पीएम ऑफिस के स्टिफन वॉल को 29 जून 1992 में लिखा था, ‘हमने भारतीय पीएम के द्वारा कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के मिस्टर सरोबर के जरिए की गई रिक्वेस्ट को लेकर बात की, जिसमें उन्होंने पीएमओ के कामकाज को लेकर संक्षिप्त में जानकारी मांगी थी… भारतीय पीएम को ऐसा महसूस हुआ है कि उनका ऑफिस काफी नौकरशाही है और उन्होंने इसे सरल बनाने को लेकर आइडिया की मांग की है। हमारे अधिकारियों का मानना है कि अनुरोध काफी वास्तविक है।’

राव की रिक्वेस्ट को विदेशी कार्यालय के क्रिस्टोफर प्रेन्टिस ने 27 जुलाई 1992 के दिन एक लेटर के रूप में वॉल को आगे बढ़ाया। इस लेटर में कहा गया था कि लंदन को भारत सरकार के आर्थिक और उदारीकरण सुधारों को प्रोत्साहित करने में रूचि थी। प्रेन्टिस ने लिखा, ‘हम जानते हैं कि सीआईआई के डायरेक्टर जनरल तरुण दास अक्सर ही भारतीय पीएम के साथ मीटिंग करते रहते हैं। हमें तरुण से यह पता चला है कि नरसिम्हा राव नौकरशाहों की वजह से होती देरी से काफी परेशान हैं, खासकर आर्थिक उदारीकरण और निजीकरण की नीतियों को लागू करने में हो रही देरी से। हम पूरी तरह से समझ सकते हैं कि उनके द्वारा मांगी गई सलाह वास्तविक है और इसमें कोई संदेह नहीं है। इस रिक्वेस्ट के लिए मिस्टर सरोबर के जरिए हम तक पहुंचाने का तरीका शायद इस वजह से अपनाया गया है ताकि नौकरशाहों की समस्या से बचा जा सके।’

सोमवार को दास ने इस मामले पर कहा कि राव के साथ उनकी “नियमित बैठकें” नहीं होती थीं, लेकिन वह पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी एएन वर्मा से नियमित तौर पर मिलते रहते थे। उन्होंने जानकारी दी कि पीएमओ आर्थिक सुधार कर रहा था और डेटा, विश्लेषण और सुझाव प्रदान करने के लिए सीआईआई पर भरोसा किया गया था।

तरुण दास ने बताया, ‘यह सारी चीजें बहुत ही शांति से, बिना मीडिया को जानकारी दिए की गईं। 1991-1996 के बीच का समय ऐसा समय था जब आर्थिक सुधार लाने के लिए सरकार और सीआईआई ने मिलकर काम किया था। इस काम में, वॉशिंगटन, लंदन और सिंगापुर स्थित सीआईआई के ऑफिस भी शामिल थे।’ मेलविले और प्रेन्टिस ने बताया कि भारतीय पीएम द्वारा मांगी गई ‘असाधारण जानकारी’ कि ब्रिटेन का पीएमओ कैसे काम करता है, उसे देने के लिए वॉल ने व्यवस्था की, एक लेटर के साथ जिसमें लिखा था, ‘इससे भारतीयों को कुछ वैचारिक भोजन मिलना चाहिए।

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