मोदी की टोपी पर बोले शशि थरूर तो सुब्रमण्यम स्वामी का हमला- सूट-बूट में वेटर जैसे लगते हो
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने शशि थरूर की अंग्रेजी और उनके पहनावे पर तंज कसा है। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए बयान में सुब्रमण्यम स्वामी ने ये सारी बातें कहीं हैं। स्वामी असल में रविवार को दिए गए थरूर के उस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी पर मुस्लिम टोपी और हरा रंग न पहनने पर कटाक्ष किया था।
अपने बयान में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा,” थरूर के बयान से ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि इससे नार्थ ईस्ट के लोगों के दिलों को चोट पहुंची है। उन्होंने इसे व्यक्त भी किया है। ये शशि थरूर तो कॉकटेल पार्टी से बाहर निकला नहीं है। मंत्री बन गया फिर एमपी है, लेकिन इससे उसको कोई फर्क ही नहीं पड़ा। कॉकटेल पार्टियों में जैसे अंग्रेजों के नाजायज बच्चे होते हैं। उनकी संस्कृति भी अंग्रेजों वाली होती है। उनकी भाषा भी ऐसी होती है जैसे इंग्लैंड से यहां आकर बोल रहे हों । अंग्रेजों की मिलिट्री के जवान जैसे ब्लडी हैल वगैरह बोला करते थे, उसकी भी भाषा वैसी ही है।”
स्वामी यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा,” शशि थरूर कॉकटेल पार्टी चले जाएं, लुटियंस के डिनर में चले जाएं तो ये सारी चीजों को बड़े मजाक में लेते हैं। लेकिन हमारी आम जनता आज भी संस्कृति और समाज का पालन करते हुए जीती है। ये कहना कि अजीब सी टोपी। क्या अजीब है इसमें? तुम्हारा सूट—बूट कोई अजीब सा नहीं है। सूट—बूट पहनकर तुम वेटर जैसे तो दिखते हो, जैसे रेस्टोरेंट का बटलर हो। उससे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन नागा की टोपी पसंद नहीं है। समाज से ऐसे लोगों का बहिष्कार करना चाहिए।”
दरअसल रविवार को अपने संसदीय क्षेत्र तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम में थरूर ने कहा था कि आखिर क्यों पीएम नरेंद्र मोदी जो दुनिया भर में किस्म किस्म की पगड़ियां पहनते हैं, एक मुस्लिम टोपी पहनने से इनकार कर देते हैं। थरूर ने कहा, “पीएम मोदी मुस्लिम टोपी क्यों नहीं पहनते हैं, वो हरे रंग का कपड़ा पहनने से इंकार क्यों कर देते हैं, जो कि उनकी नजर में मुसलमानों का रंग है, ,और इस रंग को पहनने का मतलब मुस्लिम तुष्टिकरण होता है।” शशि थरूर एक सेमिनार में बोल रहे थे। इस सेमिनार का मकसद था, “नफरत के खिलाफ खड़े होइए-समकालीन भारत में असहिष्णुता और हिंसा।”
अपने भाषण में थरूर ने भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों को अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले और कथित गौरक्षकों की हिंसक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। थरूर ने कहा कि एक बार भी इन घटनाओं के बाद पीएम ने तुरंत बयान दिया है। थरूर ने कहा, “गौ रक्षा के नाम पर अल्पसंख्यकों पर हुए हमले के तुरंत बाद पीएम ने एक बार भी बयान नहीं दिया है ताकि लोगों को भरोसा हो कि वे ऐसी हिंसा की निंदा करते हैं, इसके बाद ये धारणा बनती है कि यदि पीएम नहीं बोलते हैं कि तो उन्हें इन चीजों से मतलब नहीं है, इससे उनलोगों को ताकत मिलती है।”
थरूर ने कहा कि उन्हें मुकम्मल तौर पर यकीन है कि यदि आज स्वामी विवेकानंद जिंदा होते तो दक्षिणपंथी गुंडे उनपर भी हमला कर देते। उन्होंने कहा, “मुझे पूरा इत्मीनान है कि यदि स्वामी विवेकानंद आज के भारत में आते, वो इन गुंडों का निशाना बन जाते, ये लोग उनके चेहरे पर इंजन का तेल फेंकते, गलियों में उनपर हमला कर देते, क्योंकि विवेकानंद उन्हें कहते कि लोगों का आदर करो, वो कहते कि मानवता ज्यादा महत्वपूर्ण है, हमलोग विवेकानंद की परंपरा के हिन्दू हैं, सावरकर और गोलवलकर की परंपरा के हिन्दू नहीं हैं।”
थरूर यहीं नहीं रूके थे उन्होंने गृह मंत्रालय के आंकड़ों का भी हवाला दिया था। थरूर ने कहा कि पिछले चार सालों में देश साम्प्रदायिक हिंसा के 2920 घटनाएं देख चुका है। थरूर ने कहा कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद देश भर में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ी है।